लघु कथा- एक ही छाता..!!

लघु कथा- एक ही छाता..!!

काले बादलों का झुंड आता देख समय से पूर्व ही स्कूल में छुट्टी की घण्टी बजा दी गई थी रोज की तरह छवि स्कूल से अपना बैग लिए गेट के बाहर श्याम का इंतजार कर रही थी सहसा ,अरे श्याम आज तुमनें बड़ी देर लगा दी देखो न बादल जोर से बरसने वाले हैं और फिर दोनों घर की ओर चल दिए एक ही रूट पर पड़ता था छवि और श्याम का घर ।

श्याम नें कहा कल के गृहकार्य के विषय में मैम से कुछ पुछना था इसलिए देर हुई ,, श्याम नवीं और छवि सातवीं कक्षा की छात्रा थी।

दोनों बातें करते हुए घर की ओर बढ़ रहे थे, गृह कार्य के विषय में जानकारी लेनीं थी अतः छुट्टी होते ही सभी छात्र छात्र जा चुके थे आपस में बात करते करते बड़े ही सहज ढंग से रास्ता कट रहा था तभी अचानक जोर की बिजली चमकी और बादलों की गड़गड़ाहट के साथ बारिश शुरू हो गई कहीं ठहरने के लिए कोई स्थान न था।

छवि रोज अपनें बैग में रखकर छाता लेकर स्कूल आती थी परन्तु श्याम नहीं लाता उसे लगता वह तो दौड़ता हुआ घर चला जायेगा ,,पर आज ऐसा सम्भव न हो सका ,क्योंकि साथ में छवि जो थी ,छवि नें श्याम को अपने छाते में आनें का आग्रह किया ,,भीगने से बचना भी आवश्यक था अतः एक ही छाते में दोनों नें बारिश से बचनें का प्रयास तो किया पर प्रेम की बारिश कब बरस पड़ी पता ही नहीं चला ,शायद यहीं से दोनों के प्रेम का अंकुरण हो चुका था।

वो बारिश उनके जेहन में अपना स्थान बना चुकी थी अब वे साथ साथ समय बिताने के बहानें तलाशनें लगे ,कभी चाय कभी काफी तो कभी होम वर्क की लेन देन ,,वक्त को हवा लग गई,पर प्यार परवान चढ़ने लगा ,लोगों के मन में ये प्रेमी चुभनें लगे थे पर माँ पिता तो अपनें बच्चों की खुशियों में ही खुश हो जाते हैं अतः दोनों ओर के माता पिता की रजामंदी और परिजनों की देखरेख में  एक दिन वो बारिश यादगार बन कर दोनों को एक परिणय सूत्र में बांध गई और ये युगल प्रेमी भी ईश्वर की असीम अनुकम्पा से मधुर गृहस्थ जीवन में कदम रख कर वो पहली बारिश और उस एक ही छाता को तहे दिल से शुक्रिया अदा कर रहे थे जो उनके जीवन को प्रेम रस से भिगोकर उन्हें एक साथ रहते हुए सात जन्मों के बंधन में बांध दिया।।

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vijay-lakshmi-pandey
विजयलक्ष्मीपाण्डेय
स्वरचित मौलिक रचना
आजमगढ़,उत्तर प्रदेश
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