आओ मिलकर जीवन बचाएं।
आओ मिलकर जीवन बचाएं।
धीरे-धीरे पर्यावरण हो रहा है प्रदूषित,वायु, जल, भूमि सब हो रहा है दूषित,
बढ़ती जा रही है हर जगह बीमारी,
इससे त्रस्त हो रही है दुनिया सारी,
पहले बिकता था सिर्फ पानी,
बिक रही है अब हवा सुहानी,
शुद्ध वायु का ना होना,
शांत वातावरण को खोना,
शुद्ध जल नहीं मिलना,
शुद्ध खाद्य के बिना जीना,
पर्यावरण में जहर घोलता हुआ प्लास्टिक,
इन हालातों के साथ कैसे रहेंगे जीवित,
शारीरिक ऊर्जा कम हो रही है,
स्वयं के साथ नहीं कर रहे सही है,
बहिष्कार करें प्लास्टिक,
जिम्मेदार बने हर एक नागरिक,
पेड़ लगाए, स्वच्छ वातावरण बनाएं,
स्वयं के जीवन और पर्यावरण को मिलकर बचाएं।।
About author
डॉ. माध्वी बोरसे!( स्वरचित व मौलिक रचना)
राजस्थान (रावतभाटा)