बच्चों में भगवान बसते हैं/ children day special

यह कविता 14 नवंबर 2022 बाल दिवस के उपलक्ष में, बच्चों पर आधारित कविता है 

 कविता बच्चों में भगवान बसते हैं

बच्चों में भगवान बसते हैं/ children day special
हर छल कपट दांवपेंच से दूर रहते
अबोध बच्चे खिलखिलाकर हंसते हैं
किसी के ऊपर ताने तंज़ नहीं कस्ते हैं
क्योंकि बच्चों में भगवान बसते हैं

बच्चे न कोई शिकायत गिले-शिकवे करते हैं 
वह बेटी या बेटा हूं अनजान रहते हैं 
ना किसी की बुराई ना गुणगान करते हैं 
क्योंकि बच्चों में भगवान बसते हैं 

नारी को मां बनने का सम्मान देते हैं 
पिता के गौरव और अभिमान होते हैं 
मत मारो कोख में वह एक नन्हीं सी जान है 
बच्चों मैं समाए होते भगवान होते हैं 

घर की चौखट चहकती है बच्चे जब हंसते हैं 
महकता है घर जिसमें बच्चे बसते हैं 
संस्कारवान बच्चे धन सम्मान सेवा के रस्ते हैं 
बच्चों में भगवान बसते हैं 

गम खुशी नहीं समझते हमेशा हंसते हैं 
दिल जुबां में कुछ नहीं बस हंसते हैं 
स्कूल जाते पीठ पर भारी बस्ते हैं 
तकलीफ़ नहीं बताते बस हंसते हैं 

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Kishan sanmukh

-संकलनकर्ता लेखक - कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र

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