Let's fulfill our commitment by conserving water
जल ही अमृत है, जल ही औषधि है
साथियों बात अगर हम भारत जल सप्ताह के उद्घाटन समारोह में माननीया राष्ट्रपति के संबोधन की करें तो उन्होंने कहा,कि बढ़ती आबादी को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराना आने वाले वर्षों में एक बड़ी चुनौती होगी। पानी का मुद्दा बहुआयामी और जटिल है, जिसके लिए सभी हितधारकों को प्रयास करने चाहिए। हम सभी जानते हैं कि पानी सीमित है और केवल इसका उचित उपयोग और पुन उपयोग ही इस संसाधन को लंबे समय तक बनाए रख सकता है। इसलिए, हम सभी को इस संसाधन का सावधानीपूर्वक इस्तेमाल करने का प्रयास करना चाहिए। उन्होंने लोगों से इसके दुरुपयोग के बारे में जागरूक होने और दूसरों को जल संरक्षण के बारे में जागरूक करने का भी आग्रह किया। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि इस 7 वें जल सप्ताह के दौरान विचार-मंथन के परिणाम इस पृथ्वी और मानवता के कल्याण का मार्ग प्रशस्तकरेंगे। उन्होंने आम लोगों, किसानों, उद्योगपतियों और विशेषकर बच्चों से जल संरक्षण को अपनी नैतिकता का हिस्सा बनाने की अपील की। उन्होंने कहा कि इसी तरह हम आने वाली पीढ़ियों को एक बेहतर और सुरक्षित कल का तोहफा दे पाएंगे। उन्होंने कहा कि पानी का मुद्दा न केवल भारत के लिए बल्कि पूरे विश्व के लिए प्रासंगिक है।यह मुद्दा राष्ट्रीयसुरक्षा से भी जुड़ा हुआ है क्योंकि उपलब्ध मीठे पानी की विशाल मात्रा दो या दो से अधिक देशों के बीच फैली हुई है। इसलिए, यह संयुक्त जल संसाधन एक ऐसा मुद्दा है जिसमें अंतर्राष्ट्रीय सहयोग आवश्यक है। उन्हें यह जानकर प्रसन्नता हुई कि 7 वें भारत जल सप्ताह में डेनमार्क, फिनलैंड, जर्मनी, इज़राइल और यूरोपीय संघ भाग लिया हैं। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि इस मंच पर विचारों और प्रौद्योगिकियों के आदान-प्रदान से सभी लाभान्वित होंगे। उन्होंने कहा कि जल के बिना जीवन की कल्पना करना असंभव है। भारतीय सभ्यता में जल जीवन में ही नहीं जीवन के बाद की यात्रा में भी महत्वपूर्ण है। इसलिए सभी जल स्रोतों को पवित्र माना जाता है। लेकिन फिलहाल स्थिति पर नजर डालें तो यह चिंताजनक लगती है। बढ़ती आबादी के कारण हमारी नदियों और जलाशयों की हालत बिगड़ रही है, गांव के तालाब सूख रहे हैं और कई स्थानीय नदियां विलुप्त हो गई हैं। कृषि और उद्योगों में पानी काअत्यधिक दोहन किया जा रहा है। पृथ्वी पर पर्यावरण संतुलन बिगड़ रहा है, मौसम का मिजाज बदल रहा है और बेमौसम अत्यधिक वर्षा आम बात हो गई है। ऐसे में जल प्रबंधन पर चर्चा करना बहुत ही सराहनीय कदम है। पानी कृषि के लिए भी एक प्रमुख संसाधन है। एक अनुमान के अनुसार हमारे देश में लगभग 80 प्रतिशत जल संसाधन का उपयोग कृषि कार्यों के लिए किया जाता है। इसलिए जल संरक्षण के लिए सिंचाई में पानी का उचित उपयोग और प्रबंधन बहुत जरूरी है। इस क्षेत्र में पीएम कृषि सिंचाई योजना एक प्रमुख पहल है। देश में सिंचित क्षेत्र को बढ़ाने के लिए यह राष्ट्रव्यापी योजना लागू की जा रही है। जल संरक्षण लक्ष्यों के अनुरूप, इस योजना में प्रति बूंद अधिक फसल सुनिश्चित करने के लिए सटीक-सिंचाई और जल बचत प्रौद्योगिकियों को अपनाने कीभी परिकल्पना की गई है।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि जल ही अमृत है, जल ही औषधि है। आओ जल संरक्षण कर अपनी प्रतिबद्धता निभाएं। जीवन को प्रभावित करने वाले पहलुओं में सबसे महत्वपूर्ण सुरक्षित पेयजल है। जलवायु परिवर्तन के इस नाजुक दौर में जल को प्रबंधित करना ज़रूरी है।
आओ जल संरक्षण कर अपनी प्रतिबद्धता निभाएं
जीवन को प्रभावित करने वाले पहलुओं में सबसे महत्वपूर्ण सुरक्षित पेयजल है - जलवायु परिवर्तन के इस नाजुक दौर में जल को प्रबंधित करना ज़रूरी - एडवोकेट किशन भावनानीगोंदिया - वैश्विक स्तरपर जलवायु परिवर्तन के दुष्परिणामों से हर देश त्रस्त है, क्योंकि इन कुदरती त्रसदियों को रोक पाने की तकनीकी का इजाद अभी तक मानवीय बौद्धिक क्षमता ने नहीं किया है। हालांकि इन प्राकृतिक त्रासदियों के मूल रूप से जवाबदार भी हम मानवीय प्राणी ही हैं, क्योंकि हमने इस खूबसूरत सृष्टि के प्राकृतिक संसाधनों को काफी हद तक नुकसान पहुंचाकर नष्ट करनेका काम हम मनीषियों ने ही किया है। इसलिए इन संसाधनों को बचाने के लिए उपाय भी हमें ही करने होंगे ताकि आगे चलकर त्रासदी की विभिशक्ता से बचा जा सके। हालांकि मानवीय जीवन को प्रभावित करने वाले पहलू इस प्रकृति में अनेक हैं परंतु चूंकि 1 से 5 नवंबर 2022 तक ग्रेटर नोएडा यूपी में सातवां पांच दिवसीय भारतीय जल सप्ताह 2022 सफलतापूर्वक आयोजित किया गया जिसमें जल संसाधनों के संरक्षण और उनके एकीकृत उपयोग के प्रयासों के प्रति जागरूक किया गया, जिसमें वैश्विक स्तरके निर्णय निर्धारकों शोधकर्ताओं उद्यमियोंराजनीतिज्ञों द्वारा आपस में मंथन किया गया और उनकी राय जानी गई। इसकी थीम सतत विकास और समानता के लिए जल सुरक्षा थी जिसकी दुनिया के जल विशेषज्ञों योजनाकारों हितधारकों को एक मंच पर लाया गया जिसमें डेनमार्क सिंगापुर फिनलैंड शामिल हुए अनेक संगोष्ठीयों, पैनल चर्चाएं, प्रदर्शनियों का आयोजन किया गया जिसका दूरगामी सकारात्मक परिणाम जल संरक्षण और सुरक्षा हमें देखने को मिलेगी इसलिए आज हम इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे - जल अमृत है, जल ही औषधि है।आओ जल संरक्षण कर अपनी प्रतिबद्धता निभाए। साथियों बात अगर हम भारत जल सप्ताह 2022 के 5 नवंबर 2022 को समापन पर माननीय उपराष्ट्रपति के संबोधन की करें तो उन्होंने कहा कि यह समापन समारोह संकल्प की शुरुआत है। दुनिया भर के लोगों का यहां आना, इस विषय पर चर्चा-चिंतन करना और समाधान का रास्ता दिखाना बड़ी उपलब्धि है। जल हमारी प्राचीन संस्कृति से जुड़ा हुआ है। ऋग्वेद में व्याख्या की गई है कि जल ही अमृत है, जल ही औषधि है। सुरक्षित पेयजल तक पहुंच न केवल जीवन के लिए आवश्यक है बल्कि इसका सीधा असर लोगों के स्वास्थ्य और सामाजिक स्थिति पर पड़ता है। जल जीवन मिशन की सफलता के लिए हमें क्वालिटी, क्वांटिटी, और कम्युनिटी पर फोकस करना होगा।कार्यक्रम में आयोजक मंत्रालय (जल शक्ति) के मंत्री ने कहा कि जल संरक्षण में जो कुछ हमने हासिल किया है, वह सबके लिए है। हम सब साथ में सोच विचार करें ताकि सभी जीवन सुगम हो। पानी की चुनौती हम सबके समक्ष है।भारत जैसे अनेक देश विकास की दौड़ में हैं, जिनके लिए यह विषय अत्यंत महत्वपूर्ण है। जल सप्ताह-2022 के दौरान जल के भंडारण और सबको समान रूप से जलप्रदाय को लेकर मंथन किया गया है। हमारे उपयोग में किस प्रकार का दृष्टिकोण होना चाहिए, यह महत्वपूर्ण है। भारत में जल व स्वच्छता के मामले में पूरी प्रतिबद्धता के साथ काम हो रहा है और देश एक रोल मॉडल के रूप में उभर रहा हैं। पीएम के नेतृत्व में गति व समयबद्धता के साथ लक्ष्य पूर्ति के लिए तत्परता से काम किया गया है।
साथियों बात अगर हम भारत जल सप्ताह के उद्घाटन समारोह में माननीया राष्ट्रपति के संबोधन की करें तो उन्होंने कहा,कि बढ़ती आबादी को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराना आने वाले वर्षों में एक बड़ी चुनौती होगी। पानी का मुद्दा बहुआयामी और जटिल है, जिसके लिए सभी हितधारकों को प्रयास करने चाहिए। हम सभी जानते हैं कि पानी सीमित है और केवल इसका उचित उपयोग और पुन उपयोग ही इस संसाधन को लंबे समय तक बनाए रख सकता है। इसलिए, हम सभी को इस संसाधन का सावधानीपूर्वक इस्तेमाल करने का प्रयास करना चाहिए। उन्होंने लोगों से इसके दुरुपयोग के बारे में जागरूक होने और दूसरों को जल संरक्षण के बारे में जागरूक करने का भी आग्रह किया। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि इस 7 वें जल सप्ताह के दौरान विचार-मंथन के परिणाम इस पृथ्वी और मानवता के कल्याण का मार्ग प्रशस्तकरेंगे। उन्होंने आम लोगों, किसानों, उद्योगपतियों और विशेषकर बच्चों से जल संरक्षण को अपनी नैतिकता का हिस्सा बनाने की अपील की। उन्होंने कहा कि इसी तरह हम आने वाली पीढ़ियों को एक बेहतर और सुरक्षित कल का तोहफा दे पाएंगे। उन्होंने कहा कि पानी का मुद्दा न केवल भारत के लिए बल्कि पूरे विश्व के लिए प्रासंगिक है।यह मुद्दा राष्ट्रीयसुरक्षा से भी जुड़ा हुआ है क्योंकि उपलब्ध मीठे पानी की विशाल मात्रा दो या दो से अधिक देशों के बीच फैली हुई है। इसलिए, यह संयुक्त जल संसाधन एक ऐसा मुद्दा है जिसमें अंतर्राष्ट्रीय सहयोग आवश्यक है। उन्हें यह जानकर प्रसन्नता हुई कि 7 वें भारत जल सप्ताह में डेनमार्क, फिनलैंड, जर्मनी, इज़राइल और यूरोपीय संघ भाग लिया हैं। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि इस मंच पर विचारों और प्रौद्योगिकियों के आदान-प्रदान से सभी लाभान्वित होंगे। उन्होंने कहा कि जल के बिना जीवन की कल्पना करना असंभव है। भारतीय सभ्यता में जल जीवन में ही नहीं जीवन के बाद की यात्रा में भी महत्वपूर्ण है। इसलिए सभी जल स्रोतों को पवित्र माना जाता है। लेकिन फिलहाल स्थिति पर नजर डालें तो यह चिंताजनक लगती है। बढ़ती आबादी के कारण हमारी नदियों और जलाशयों की हालत बिगड़ रही है, गांव के तालाब सूख रहे हैं और कई स्थानीय नदियां विलुप्त हो गई हैं। कृषि और उद्योगों में पानी काअत्यधिक दोहन किया जा रहा है। पृथ्वी पर पर्यावरण संतुलन बिगड़ रहा है, मौसम का मिजाज बदल रहा है और बेमौसम अत्यधिक वर्षा आम बात हो गई है। ऐसे में जल प्रबंधन पर चर्चा करना बहुत ही सराहनीय कदम है। पानी कृषि के लिए भी एक प्रमुख संसाधन है। एक अनुमान के अनुसार हमारे देश में लगभग 80 प्रतिशत जल संसाधन का उपयोग कृषि कार्यों के लिए किया जाता है। इसलिए जल संरक्षण के लिए सिंचाई में पानी का उचित उपयोग और प्रबंधन बहुत जरूरी है। इस क्षेत्र में पीएम कृषि सिंचाई योजना एक प्रमुख पहल है। देश में सिंचित क्षेत्र को बढ़ाने के लिए यह राष्ट्रव्यापी योजना लागू की जा रही है। जल संरक्षण लक्ष्यों के अनुरूप, इस योजना में प्रति बूंद अधिक फसल सुनिश्चित करने के लिए सटीक-सिंचाई और जल बचत प्रौद्योगिकियों को अपनाने कीभी परिकल्पना की गई है।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि जल ही अमृत है, जल ही औषधि है। आओ जल संरक्षण कर अपनी प्रतिबद्धता निभाएं। जीवन को प्रभावित करने वाले पहलुओं में सबसे महत्वपूर्ण सुरक्षित पेयजल है। जलवायु परिवर्तन के इस नाजुक दौर में जल को प्रबंधित करना ज़रूरी है।