नव साहित्यकारों एसे लिखो/nav sahityakaron aise likho
नव साहित्यकारों एसे लिखो
बहुत से युवा साहित्यकार बनना चाहते
क्या लिखें ? यही सोच ये उलझ ही जाते।।
आओ बैठो खुद का ही अनुभव हम बताते
बातों ही बातों में सुनो जरा हम समझाते।।
आज क्या हुआ दिन भर उसे सोच जाते
दिनचर्या को अपना विषय समझ मुस्काते
सोच नित दिनचर्या को ही कलम चलाते
देखो शब्द खुद ब खुद हमारा साथ निभाते।।
आसमां देखा तो काग़ज़ पर आसमां सजाते
चांद देखा तो महबूब कि तुलना कर जाते
सितारे देखे तो काल्पनिक में तोड़ ही लाते।।
पति कभी ना सुने मेरी तो दर्द लिख जाते
पति प्रेम सम्मान दिए श्रृंगार रस सजाते
काम बहुत घर में व्यस्तता सबको बताते
शब्दों का खेल हे साहित्य समझ बताते।।
नवयुवाओं आर्थिक कमाई नहीं बतलाते
शौकिया तौर मेरा लिख खुद को खुश कर जाते
उम्मीद वाहवाही कि बस सबसे लगाते
ढ़ेला कई बार तो अपनी जेब से भर जाते।।
About author
वीना आडवाणी तन्वी
नागपुर , महाराष्ट्र