नव वर्ष और मधुकवि का भारत
नव वर्ष और मधुकवि का भारत
आ गया नवबर्ष फिर भी तू सो रहा||झूठे ख्वाबों ख्यालों क्यों खो रहा||
राष्ट्र सीमा बुलाती है कब से तुझे||
जाग जा भारतीय यह जगाती तुझे||
दुष्ट तेरे लहू से कफन धो रहा||१||
आ गया नव बर्ष फिर भी तू सो रहा||
वक्त आवाज देता है कर गौर सुन||
कांटे रह जायेंगे फूल जायेंगे चुन||
देख तुझको शहीदों का दिल रो रहा||२||
आ गया नव बर्ष फिर भी तू सो रहा||
मात्र भूमि पे दुश्मन नजर हैं किये||
जख्म इतिहास पढ़ कितने तीखे दिये||
चुन के गुरु पुत्र दीवार में दो- रहा||३||
आ गया नव वर्ष फिर भी तू सो रहा||
काट आंचर बहन और मां के लिए||
अब सम्भल जा-सम्भल जा-सम्भल जा प्रिये||
आज तक घोर अन्याय ही हो रहा||
आ गया नव बर्ष फिर भी तू सो रहा||४||
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गांव-चाबरखास
तहसील--तिलहर
जनपद-शाहजहांपुर यू पी