अवैध रिश्ते| Awaidh rishte
अवैध रिश्ते
रिश्तों के दरमियानकुछ दगाबाज पलते
जो अपनों को ही
अंधेरे में रख हर वक्त छलते।।
अवैध रिश्ते कहां कभी
किसी को फलते
हाथ मलते रह जाते तब
फरेबी इंसा
जब अपनों को भी खोते
अवैध रिश्तों से भी हाथ धोते।।
जब दुनिया से भी मिले दुत्कार उसको , तब वो
तंहाई में आकर अकेले खूब रोते।।
वीना आडवाणी तन्वी
नागपुर , महाराष्ट्र
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दर्द - ए शायरा