कमज़ोर तू मां | kamjor tu maa

December 10, 2022 ・0 comments

कमज़ोर तू मां

मेरा बेटा बोला मां
कमज़ोर मां तू कहलाई
अपने हक पर तू हक ना जताई
तेरे लिखे शब्द में दर्द ए चित्कार समाई।।

मैं बोली , बेटा आस और विश्वास
से आज भी चल रही मेरी लड़ाई।।

बेटा बोला , मां खत्म ना कर खुद को
अपने हक की आवाज़ क्यों ना उठाई
उठा आवाज हक की मैं तेरी परछाई
तेरी खुशी , हक की है ये मां लड़ाई।।

मैं बोली , बेटा तू बड़ा हो गया है
दर्द समझ मेरे संग खड़ा हो गया है
तू मरहम बन मेरी दवा हो गया है
मेरा दिल दुआ दे यादों में खो गया है।।

बेटा बोला कब तक आंसू बहाएगी
दर्द ए चित्कार यूं लिखती तू जाएगी
अपने जज़्बातों को दिल में दबाएगी
मां तू इंसान है ये कब समझ पाएगी।।

मैं बोली , ऊपर वाला इंसाफ करेगा
कब तक परीक्षा ले मेरी दर्द वो देगा
आस का दीपक फिर भी न बुझेगा
एक दिन हार वो ही खुशियां देगा।।

बेटा बोला , दस बरस से सब सहती
क्यों आखिर कुछ पिता को कहती
तेरी खुशियां हक पराई पिता से लेती
मां मेरी आंखें तुझे देख दर्द में बहती।।

मैं बोली , आवाज़ थी कभी मैंने उठाई
चरित्रहीन हूं मैं ये इल्ज़ाम पिता से पाई
इसलिए खामोशियों को हथियार बनाई
बेटा परवरिश के लिए तेरी चुप्पी भाई।।

बेटा बोला , मैं आत्मनिर्भर बन जाऊंगा
तेरे हर लम्हे मैं खुशियां से भर जाऊंगा
भाई , तुझे हसीन जिंदगी मैं दिलाऊंगा
इस इंसान को नजरंदाज कर जाऊंगा।‌।

सुन बेटे की बातें अपने सीने से लगाया
बेटा बडा हो गया ये दिल को समझाया
बेटा जानता कौन अपना कौन पराया
दिल सुकून पा लिख मरहम़ लगाया।।

About author 

Veena advani
वीना आडवाणी तन्वी
नागपुर , महाराष्ट्र
दर्द - ए शायरा

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