हिम्मत ना हारो | Himmat na haro
December 02, 2022 ・0 comments ・Topic: poem Veerendra Jain
हिम्मत ना हारो | Himmat na haro
मैं बताता हूं कैसे डूबकर उभरना होगा ।
ना पूछो मुझसे मेरे ग़म का सबब यारों तुम
साथ मेरे इक ज़हन्नुम से गुजरना होगा ।
यूं तो मुश्किल भी नहीं है दर्द समझना मेरा,
बस एक पल को मेरे जिस्म में ठहरना होगा ।।
टूटकर जाना बिखर होता है आसां मग़र
आईने को जोड़कर खुद ही संवरना होगा ।
साहिलों की फरियाद करते रहना फिज़ूल है,
माझी बनकर कश्ती संग पार उतरना होगा ।
कालिमा शब की बहुत ही घनेरी है लेकिन,
बनके धृुव तारा तुझे तेरा उभरना होगा ।
हौले हौले ही सही कहानी चलनी चाहिए ।
रूक गई सांसें तो जीवन को बिखरना होगा ।।
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Veerendra Jain, Nagpur |
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Instagram id : v_jain13
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