प्रेम प्रसंग | Prem prasang | kavita

December 01, 2022 ・0 comments

प्रेम प्रसंग

प्रेम प्रसंग | Prem prasang | kavita
प्रेम प्रसंग | Prem prasang | kavita

एक छोटा सा शब्द हॉं! फिर बिखरी हुई जिंदगी।
मंदिर मस्जिद दुआ प्रार्थना काम न आई बन्दगी।।

पंख निकल आते जब, उड़ जाते हैं स्वछंद गगन।
माँ की बातें लगे चुभने प्रिय लगे हैं पिया मिलन।।

चन्द पल मधुर मिलन के सपने देखती निगाह।
ढाई अक्षर के प्रेम हुआ और हुई जिंदगी तबाह।।

मीठी-मीठी बातें प्रेम मोहब्बत बस नाम के।
चुपके से वार पीठ में खंजर किस काम के।।

खुशहाल जीवन बिगड़ जाती रो-रोकर गुजरते दिन।
संवर जाती किसी की, तो कोई तड़पे साजन बिन।।

कर बैठा मोहब्बत की पनाह में कोई टूट जाता है।
नई दुनियाँ बसाने की चाह में कोई लूट जाता है।।

घर-परिवार की मान-मर्यादा इज्जत दांव में लगाते।
पछताए अब क्या करे होश में आते जब दगा पाते।।

एक बार जो खिला चमन में फूल दोबारा कहाँ खिलेगा?
फ़िल्म नहीं सच सामना है, दोबारा मौका कहाँ मिलेगा??

About author 

नाम प्राची सदाना
(पत्रकार)
पता रायपुर छत्तीसगढ़

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