भावनानी का व्यंग्यात्मक भाव
भावनानी का व्यंग्यात्मक भाव–पगार कम पर वीआईपी जिंदगी जीता हूं
परिवार को वीआईपी सुविधा सुविधाएं देता हूंबच्चों को महंगी प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाता हूं
हरे गुलाबी बहुत शिद्दत से लेता हूं
पगार कम पर वीआईपी जिंदगी जीता हूं
समझदार समझते हैं भ्रष्टाचारी हूं
मेरा ईमान धर्म हरे गुलाबी है
पगार केवल दस हज़ार है
पगार कम पर वीआईपी जिंदगी जीता हूं
हर काम के लिए सौदेबाजी करता हूं
बाहर दलालों का घेरा बैठा दिया हूं
पूरी चैनल बनाकर भ्रष्टाचार करता हूं
पगार कम पर वीआईपी जिंदगी जीता हूं
आलीशान बिल्डिंग गाड़ी मेंटेन करता हूं
परिवार सहित ब्रांडेड वस्तुएं यूज करता हूं
सेठों से कम जीवन नहीं जीता हूं
पगार कम पर वीआईपी जिंदगी जीता हूं
कल किसने देखा है भावनानी का भाव रखता हूं
विपत्तियां आएगीतो हरेगुलाबी से निपट सकताहूं
सब जगह यही चलते हैं जानता समझता हूं
पगार कम पर वीआईपी जिंदगी जीता हूं
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कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुख़दास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र