यात्रा का दौर | yatra ka daur
यात्रा का दौर
कश्मीर से कन्याकुमारी पैदल? या अक्ल से।जनता को दुखी करने का प्रयास या खुद तंग होने के प्रयास? सिर्फ टीशर्ट में ठंडी से नहीं डरने का दावा करना क्या ठंड से ही डर था या कोई ओर?कुछ तो हैं जो डरा रहा हैं।जो जुड़ा हुआ है उसे कैसे जोड़ा जायेगा कुछ समझ नहीं आया।कश्मीर जो अब पूरी तरह से जुड़ ने की प्रक्रिया में व्यस्त हैं उसे आंदोलित करना क्या जरूरी हैं?लीटर और किलो का भेद न जाने जो क्या जोड़ेगा वह देश को एक जुट में?खूब बदजुबान का मालिक और कुछ करें या नहीं बाकी बोलने में पीछे नहीं रहता।चाहे सही हो या गलत,व्याकरण तो कोसों दूर रहता हैं लेकिन मतलब भी अनुमानों से समझ आते है।ऐसे भाषण या पत्रकार को साक्षात्कार देते हुए भी कोई गंभीरता नहीं हो वह एक परिपक्व नेता की निशानी हैं।कईं विसंगत बातें सुनी जाती हैं जिसमे किसानों को उनकी पैदाश की कमी हो तो फैक्ट्री लगाने के सुझाव हो या संसद में आंख मारके मोदीजी के गले लगाने का नाटक हो,मोदी जी को आंख में आंख डाल कर बात नहीं कर पाने का दावा हो,सब बचकाना और अपरिपक्वता की निशानी है जो राजकरण में या सरकार में कोई भी जिम्मेवारी के लिए अयोग्य सिद्ध करता है।कोई भी राजकीय कार्य में जिम्मेवार पद पर कभी कार्यान्वित नहीं रहते हुए भी सर्वोच्च पद की कामना करना एक प्रकार से स्वप्न ही होता है।दस सालों तक जिनकी सत्ता रही उस वक्त कोई प्रधान की कुर्सी संभाल कर अनुभव प्राप्त कर लिया होता तो शायद कुछ योग्यता प्राप्त हो गई होती,किंतु इन लोगों को तो बिना पद के सत्ता प्राप्ति कर जोहुकामी चलाने की आदत या कुटेव पड़ी हुई है ये तो कुछ सालों का इतिहास बताता हैं।और अब ये पैदल यात्रा जिसमें जनेऊ पहने नंगे बदन छोटे से लड़के का प्रयोग कर यात्रा को प्रमोट करने की रीत कितनी क्रूर है? उनको ठंड नहीं। लगती किंतु उस बालक को तो जरूर न्यूमोनिया हो गया होगा। नये नये नुस्खे आजमा के यात्रा को सफल बताने की ये रीत कितनी सफल होगी ये तो समय ही बताएगा।एक बात बहुत महत्व की हैं,उनका दावा है कि यात्रा से उनकी छवि बदल जानें से राजकरण में उनकी पूछ बढ़ेगी और उसका प्रतिबिंब चुनावों के परिणाम में देखी जायेगी,उनकी ज्यादा सीटों पर विजय होगी।अगर नहीं हुई तो? ये यात्रा के बाद उनकी इच्छा और आशा के विरुद्ध परिणाम नहीं आएं तो अगली भारत यात्रा,कन्याकुमारी से कश्मीर साष्टांग दंडवत करते करते शुरू होगी जो चार महीनों में नहीं किंतु चार सालों। में भी खत्म नहीं होगी और उम्र 52 से 60 हो जायेगी और युवा नेता से प्रौढ़ नेता का तमगा लग जायेगा।
यह विचार लेखिका के अपने है ।