भारत अमेरिका एक-दूसरे के पक्के साझेदार

भारत अमेरिका एक-दूसरे के पक्के साझेदार

भारत प्लस अमेरिका इक्वलटू परफेक्ट साझेदार

भारत अमेरिका एक-दूसरे के पक्के साझेदार
भारत अमेरिका दुनिया के दो सबसे बड़े लोकतंत्र और साझामूल्य प्राथमिकताओं की परफेक्ट साझेदारी जो दुनिया जानती है - एडवोकेट किशन भावनानी
गोंदिया - वैश्विक स्तरपर आज भारत दुनिया में आगाज़ है याने भारत में अब अगर एक छोटी सी सुई भी बनती है तो उसकी खनक दूर तक जाती है कि जरूर इसमें कोई खासियत होगी, ऐसा बन गया है आज मेरा भारत देश! लद गए वो दिन,जब भारत में नवाचार नवोन्मेष इनोवेशन का नाम विरले ही सुनने को मिलता था, जबकि आज हर दिन नई नई सफ़लताओं की एक फ़ौज की गाथाओं के पन्ने रोज़ जुड़ते जा रहे हैं,उसी तरह आज भारत का पूर्ण विकसित देशों से विभिन्न क्षेत्रों में साझेदारी, फ्री ट्रेड एग्रीमेंट प्रौद्योगिकी शिक्षा विज्ञान ने करारों का रोज अंबार लग गया है। नए नए आयाम जुड़ते जा रहे हैं।अभी ऑस्ट्रेलिया के साथ शिक्षा क्षेत्र में करार हुआ है तो रूस द्वारा तैलीय पदार्थों में छूट, तो इटली की पीएम द्वारा रायसीना डायलॉग में पीएम की जमकर तारीफ़ तो अभी फिर दिनांक 5 मार्च 2023 को अमेरिका के विदेश विभाग के प्रधान उप प्रवक्ता द्वारा भारत अमेरिका को एक-दूसरे के पक्के साझेदार निरूपित किया है। हर भारतीय गदगद है। वैसे भी हमने पिछले साल देखे थे, कैसे ट्रंप और अमेरिका के मूल भारतीयों ने हमारे पीएम का शानदार स्वागत किया था वह नजारा आज भी हमारी नजरों में घूमता रहता है, और अब अमेरिका व वर्तमान राष्ट्रपति जो बिडेन द्वारा भी भारत को उसी विश्वसनीय नजरों से ट्रीट करते हैं जो भारत वासियों के लिए गर्व की बात है, क्योंकि अमेरिकी प्रवक्ता द्वारा यूएस भारत के द्विपक्षीय संबंधों की बातें सुनकर हम कर सकते हैं भारत प्लस अमेरिक इक्वलटू परफेक्ट साझेदार।
साथियों बात अगर हम अमेरिका विदेश विभाग के प्रधान उप प्रवक्ता के बयान की करें तो उन्होंने कहा कि, 2023 भारत के लिए बेहद महत्वपूर्ण रहने वाला है। भारत के पास जी20 की अध्यक्षता है और उनकेपास जी20 कीअध्यक्षता के लिए एक बहुत ही महत्वाकांक्षी एजेंडा है, जिस पर अमेरिका उनके साथ साझेदारी करने के लिए तैयार है। पीएम का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि उनके कार्यकाल में भारत और अमेरिका का रिश्ता गहरा हुआ।अमेरिका और भारत की दोस्ती अब हर कोई जनता है। चाहे पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प हो या मौजूदा राष्ट्रपति जो बाइडन, अमेरिका हर मौके पर भारत के साथ दिखाई देता है। इसी बीचउन्होंने कई मुद्दों को लेकर बयान जारी किया है। उन्होंने कहा कि, अमेरिका-भारत एक-दूसरे के साझेदार हैं।अमेरिका ने एक बार फिर से भारत के साथ उसके संबंधों को विश्‍व स्‍तर पर अहमियत दी है, उनकी तरफ से कहा गया है कि भारत उसका एक महत्‍वपूर्ण सहयोगी है। उन्होंने कहा कि उनके विदेश मंत्री और भारत के विदेश मंत्री के बीच बेहद मधुर ताल्‍लुक हैं। दोनों एक दूसरे के काफी करीब हैं। विदेश मंत्रालय की तरफ से ये बयान उस सवाल के बाबत दिया गया जिसमें भारत और अमेरिकी संबंधों की तुलना दूसरे देशों से की गई थी। बिल्‍कुल अन्‍य देशों की तरह भारत और अमेरिका के संबंध भी काफी मजबूत हैं।भारत केवल अमेरिका के लिए ही नहीं बल्कि पूरे विश्‍व के लिए अमेरिका का अहम साझेदार है। आसियान सम्‍मेलन हो या और कोई भी दूसरा मंच, दोनों देशों ने हमेशा ही संबंधों को और अधिक मजबूत करने पर जोर दिया है। पिछले दिनों अमेरिकी विदेश मंत्री ने भारतीय विदेश मंत्री से मुलाकात की थी, जिसमें कई मुद्दाें पर गहन चर्चा की गई थी। उन्होंने कहा कि मेरा सार्वजनिक सेवा और नागरिक जुड़ाव में दृढ़ विश्वास रहा है।अमेरिकी विदेश मंत्री के साथ भारत आना उनके लिए बेहद खास रहा है। उन्होंने कहा कि मैं गुजरात के अहमदाबाद में पैदा हुआ और जब मैं बहुत छोटा था तब अमेरिका चला गया।अब मैं विदेश विभाग में सचिव के लिए काम करने के लिए काफी उत्तेजित हूं। उन्होंने कहा कि भारतीय अमेरिकी समुदाय जीवंत और सक्रिय हैं। पिछले 50-60 वर्षों में अमेरिका में भारतीय अमेरिकियों का अप्रवास अद्भुत रहा है।यूएस-भारत के द्विपक्षीय संबंधों के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि भारत कई क्षेत्रों में महत्वपूर्ण साझेदार है। हम दुनिया के दो सबसे बड़े लोकतंत्र हैं, इसलिए हमारे पास बहुत सारे साझा मूल्य, प्राथमिकताएं हैं।भारत के रूस से तेल खरीदने पर कहा प्रत्येक देश अपना निर्णय लेता है। रूस के बारे में एक बात स्पष्ट है, विशेष रूप से रूसी ऊर्जा बिक्री के बारे में कि हम तेल मूल्य सीमा का समर्थन क्यों रहे हैं, मूल्य सीमा ऊर्जा और तेल को बाजार में प्रवाहित करती है, यह सुनिश्चित करता है कि रूस को अपनी युद्ध मशीन को वित्तपोषित करने के लिए अप्रत्याशित लाभ न मिले हमारा कभी भी किसी के लिए ऊर्जा को बाजार से दूर रखने की कोशिश करने का इरादा नहीं रहा है।
साथियों बात अगर हम ईस्ट एशिया सम्मिट की करें तो इससे पहले अमेरिका और भारत के विदेश मंत्रियों के बीच के बीच 17 वें ईस्‍ट एशिया समिट के दौरान मुलाकात के बाद व्‍हाइट हाउस की तरफ से एक बयान जारी किया गया था। इस समिट में विदेश मंत्री के साथ उप-राष्‍ट्रपति भी शामिल हुए थे। इस सम्‍मेलन में उन्‍होंने भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्‍व किया था। इस दौरान भारत और अमेरिका के बीच हुई द्विपक्षीय वार्ता में यूक्रेन संकट, इंडो-पेसेफिक, ऊर्जा और जी-20 देशों के साथ द्विपक्षीय संबंधों पर विस्‍तार से चर्चा हुई थी। भारतीय विदेश मंत्री और अमेरिकी विदेश मंत्री ने इसको लेकर ट्वीट भी किया है।
साथियों बात अगर हम कुछ दिनों पूर्व अमेरिका के वरिष्ठ सीनेट (संसद) के भारत दौरे पर बयान की करें तो, अमेरिकी सांसद ने भविष्य की तकनीक में भी भारत के साथ सहयोग की जरूरत बताई थी। उन्होंने कहा था कि दोनों देशों को साथ मिलकर भविष्य की तकनीक के नियम और शर्तें निर्धारित करनी चाहिए। उनका कहना था कि चीन के खिलाफ अमेरिका को जैसा साझेदार चाहिए, भारत उस भूमिका के लिए एकदम सटीक है। उन्होंने दावा किया था कि पीएम भी चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के अधिनायकवाद के खिलाफ दुनिया के दो बड़े लोकतंत्रों के साथ काम करने की जरूरत बता चुके हैं। बता दें कि हाल ही में अमेरिका के सीनेटर्स का एक प्रतिनिधिमंडल भारत, पाकिस्तान, जर्मनी और इस्राइल के दौरे कर अमेरिका लौटा है। इस संसद ने ही इस प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया था।। उन्होंने कहा था कि हमने भारतीय पीएम अहम संदेश दिया, जिसमें भारत और अमेरिका को चीन के खिलाफ एक दूसरे का साथ देने की जरूरत बताई गई। भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और भारत काफी युवा देश है और आने वाले समय में वह तेजी से विकास करेगा, अगर हमारे लोकतंत्रों को इस सदी में साथ में समृद्ध होना है तो हमें साथ मिलकर काम करना पड़ेगा। हमें ना सिर्फ अपने रक्षा सहयोग को मजबूत करने की जरूरत है बल्कि हमें साथ में अपने आर्थिक संबंधों और व्यापार में भी सहयोग बढ़ाना पड़ेगा।भविष्य की तकनीक में भी भारत के साथ सहयोग की जरूरत बताई और कहा कि दोनों देशों को साथ मिलकर भविष्य की तकनीक के नियम और शर्तें निर्धारित करनी चाहिए।अब दुनियाभर केलोकतंत्र चीन से कृत्रिम बुद्धिमत्ता, क्वांटम कंप्यूटिंग, अक्षय ऊर्जा, आधुनिक सेमीकंडक्टर मैन्यफैक्चरिंग आदि क्षेत्रों में प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं।उन्होंने कहा कि भारत अमेरिका समेत दुनिया के सभी लोकतांत्रिक देशों को यह कोशिश करनी चाहिए कि ये तकनीक समृद्धि की वाहक बने ना कि निरंकुश शासन के हथियार। चीन अपने लोगों की जासूसी के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता का इस्तेमाल कर रहा है। उन्होंने भारत की तारीफ करते हुए कहा कि भारत अतुल्नीय है और उन्होंने अमेरिका में रहने वाले भारतीय मूल के लोगों की भी तारीफ भी की थी।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि भारत प्लस अमेरिका इक्वलटू परफेक्ट साझेदार।भारत अमेरिका एक-दूसरे के पक्के साझेदार।भारत अमेरिका दुनियां के दो सबसे बड़े लोकतंत्र और साझामूल्य प्राथमिकताओं की परफेक्ट साझेदारी है जो दुनिया जानती है।

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कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुख़दास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र
कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुख़दास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र 
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