कविता- हौंसला तुम्हारा...

March 07, 2023 ・0 comments

नन्हीं कड़ी में....
आज की बात

हौंसला तुम्हारा...(कविता)

हे नारी, हो पाक-पवित्र इतनी तुम,
समाज ने टटोला हमेशा तुम्हें।
पग-पग पर मज़ाक बना तुम्हारा,
रोती रही,सुबकती रहीं सदा तुम।
अपने को जमाने के सामने,
हमेशा साबित करती रही तुम ।
छोड़ दो फिकर करना अब,
इस संसार की तुम ।
ना आएगा जहान साथ में तुम्हारे,
जब जाओगी अंतिम सफर पर तुम ।
जितनी की थीं तुमने मेहरबानियाँ,
भूल जाएंगे सब एक पल में तेरी कुर्बानियाँ।
उन सभी को नकारकर आज,
अब अपने लिए भी जी लो तुम।
अपना करम, अपनी नई राह,
चुनकर शान से चलो तुम।
दूसरों की परवाह आखिर,
कब तक करती रहोगी तुम ।
नारी की है यही दास्तान,
सुन लो जरा ध्यान से तुम ।
कहती है तमन्ना तुमसे यही ,
हौंसला कभी न हारो तुम।।



About author 

Tamanna matlani

तमन्ना मतलानी
गोंदिया(महाराष्ट्र)

Post a Comment

boltizindagi@gmail.com

If you can't commemt, try using Chrome instead.