क्योंकि ज़लनखोरों को मिर्ची लग रही है

 भावनानी के व्यंग्यात्मक भाव 

क्योंकि ज़लनखोरों को मिर्ची लग रही है

मेरी कामयाबी से चारों और खुशी मच रही है 
मेरे ऊपर सरस्वती के ज्ञान की बारिश हो रही है 
इसीलिए प्रतिद्वंदियोंद्वारा खिचड़ी पकाई जारही है 
क्योंकि ज़लनखोरों को मिर्ची लग रही है 

राजनीति की सफलताओं पर बांछें खिल रही है 
एक के बाद एक सब चुनाव जीत रहे हैं 
आरोपों-प्रत्यारोपों की झड़ी लग रही है 
क्योंकि ज़लनखोरों को मिर्ची लग रही है

व्यापारिक क्षेत्र में नंबरवन की स्थिति रही है 
तरक्की जोरदार ढंग से हो रही है 
टांग खींचने की होड़ लग रही है 
क्योंकि ज़लनखोरों को मिर्ची लग रही है 

सर्विस सेक्टर में सफ़लता के झंडे गाड़ रहे हैं 
नए-नए इनोवेशन कर रहे हैं 
लोग नुक्ताचीनी निकालकर हतोत्साहित कर रहे हैं 
क्योंकि ज़लनखोरों को मिर्ची लग रही है

परिवार में जबरदस्त एकताहै सफ़लता पा रहे हैं 
सब मिलकर कार्य को अंजाम दे रहे हैं 
पटखनी देकर लोग हमारा परिवार तोड़ रहे हैं 
क्योंकि ज़लनखोरों को मिर्ची लग रही है

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कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुख़दास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र
कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुख़दास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र 

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