तुलसी आज| Tulsi-aaj

March 28, 2023 ・0 comments

तुलसी आज

तुलसी आज| Tulsi-aaj
क्यों में तुलसी तेरे आंगन की बनूं
मेरी अपनी महत्ता मैं ही तो जानूं

संग तेरे रहूंगी जीवन भर के लिए
प्यार भरी संगिनी बन कर तेरे लिए

अपनों को बाहर नहीं रखा करतें है
उन्हे दिल में रख पास पास बैठते हैं

बैठ पास गुफ्तुगु कर कामना जानते है
इश्क की कदर कर प्यार पहचानते हैं

तुलसी बन आंगन में खड़ी तुम्हे निहारूं
आते जाते साजन की राह मैं जिहारूं

कहां का प्यार तुमने दिया प्रभु वृंदा को
जिसे स्वीकार कर के भी अस्वीकार की

मैं तो तेरे चरणों में भी रह लूंगी सदा
कही दूर आंगन मेरा अब स्थान कहां

About author  

Jayshree birimi
जयश्री बिरमी
अहमदाबाद (गुजरात)

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