लघुकथा पिज्जा | Short story pizza

June 29, 2023 ・0 comments

लघुकथा पिज्जा | Short story pizza

लघुकथा पिज्जा | Short story pizza

पिज्जा डिलिवरी ब्वाय की नौकरी करने वाले रघु को उसके अगल-बगल की झुग्गियों में रहने वाले बच्चों ने घेर कर पूछा, "सुना है, यह पिज्जा बहुत अच्छा होता है। तू वहां नौकरी करता है, तुझे तो भरपेट खाने को मिलता होगा न?"
झूठमूठ की हंसी हंसते हुए रघु ने कहा, "मैं तो रोजाना जितना मन होता है, उतना पिज्जा खाता हूं।"
जबकि सच तो यह था कि वह तीन महीने से नौकरी कर रहा था, पर पिज्जा खाने की कौन कहे, उसने चखा तक नहीं था।
"मैंने सुना है कि पिज्जा शहद जैसा होता है... क्या यह सच है?" जय ने पूछा।
"नहीं रे... वैसा नहीं होता। एक बार एक लड़की का पूरा डिब्बा गिर गया था। उसमें से एक टुकड़ा मुझे भी मिल गया था। मीठा नहीं, तीखा-तीखा था, पर था बहुत जोरदार..." शेरा ने कहा।
जिस दिन से रघु ने पिज्जा डिलीवरी की यह नौकरी की थी, उसी दिन से उसकी इच्छा थी कि एक दिन उसे भरपेट पिज्जा खाना है। आखिर इसमें ऐसा क्या है, जो लोग इसे खाने के लिए पागल हुए रहते हैं। इसका
मतलब यह कोई जोरदार चीज है
पिज्जा खाने कद लिए ओवरटाइम के अलावा मैनेजर से विनती कर के रात को वह रेस्टोरेंट का कूड़ा उठाने और झाड़ू-पोछा करने लगा। इस तरह लगभग दो महीने की सख्त मेहनत कर के उसने करीब डेढ़ हजार रुपए बचा लिए। अब वह पेट भर पिज्जा खा सकेगा, यह सोच कर उसे उस रात नींद नहीं आई। अगले दिन वह पिज्जा खाएगा, यह सोच कर उस दिन उसने खाना भी नहीं खाया।
उस दिना बिना यूनीफॉर्म के हो वह रेस्टोरेंट में दाखिल हुआ। वहां से उसने देखा कि उसके पड़ोस वाले बच्चे भीख मांग रहे हैं। छोटे जय को एक लड़की ने मुंह बना कर बिस्कुट का आधा पैकेट दिया। बिस्कुट खुद अकेले खाने के बजाय जय ने अपने अन्य तीन साथियों को बुलाया।
बस, रघु के तरस रहे मन को तमाचा लगा। पल भर का विलंब किए बगैर उसने सीटी मार कर उन लोगों को बुलाया। रघु को देख कर वे सभी उसकी ओर भागे। जय ने हाथ में लिया आधा पैकेट बिस्कुट उसके सामने रख दिया।
यह देख कर भीग चुकी आंख का कोर पोछते हुए रघु ने उन सब से पूछा, "मैं कह रहा हूं कि पिज्जा खाओगे क्या?"

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वीरेन्द्र बहादुर सिंह जेड-436ए सेक्टर-12, नोएडा-201301 (उ0प्र0) मो-8368681336
वीरेन्द्र बहादुर सिंह
जेड-436ए सेक्टर-12,
नोएडा-201301 (उ0प्र0)

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