बैंक ऋण वसूली, रिकवरी के अनैतिक, मनमाने तरीकों की संसद के मानसून सत्र में गूंज़
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सरकारी व निजी बैंकों को लोन रीपेमेंट, रिकवरी के लिए जोर जबरदस्ती नहीं करने, मानवीय व संवेदनशील आधार अपनाने की हिदायत
स्थानीय निकायों, संस्थाओं द्वारा मकान या प्रॉपर्टी टैक्स वसूली में जोर-जबर्दस्ती ज़ब्ती पर रोक लगाकर मानवीय व संवेदनशील आधार अपनाने का निर्देश ज़रूरी - एडवोकेट किशन भावनानी गोंदियागोंदिया - वैश्विक स्तरपर भारत अब पांचवीसे तीसरी अर्थव्यवस्था बनने की ओर बढ़ चला, दुनियां की सर्वाधिक जनसंख्या वाला देश हो चला है,जहां स्टार्टअप नवाचार नवोन्मेष को प्रोत्साहन देने के लिए सरकारी व निजी बैंक अपने द्वार पर झोली खोलें खड़े हैं कि आओ स्टार्टअप व्यापार, व्यवसाय लगाने के लिए फाइनेंस करवाओ क्योंकि अब हरभारतीय को नौकरी देने वाला बनना है ना कि नौकरी पाने वाला बनना है, जो बहुत अधिक अच्छी बात है परंतु बैंकों से लोन लेने के बाद पूर्णता सफ़ल हो जाएं ऐसाज़रूरी नहीं है। कुछ लोग शुरुआती दिनों में वित्तीय या आर्थिक हालातों में तंगी से जूझते हैं, जबतक उनका व्यापार व्यवसाय स्टार्टअप या उद्योग सेटल न हो जाए परंतु लोन रीपेमेंट की तारीख आती है तो बैंक अपने प्रतिनिधियों, एजेंटों के हसते साम दाम दंड भेद की नीति अपनाना शुरू कर देते है, उन्हें कस्टमर्स की स्थितियों परिस्थितियों से कोई लेना देना नहीं है,जो मानवीय व संवेदनशीलता के दृष्टिकोण के बिल्कुल उलट व विरूध हैं, जिसकी गूंज आखिर संसद के मानसून सत्र में दिनांक 24 जुलाई 2023 को प्रश्नकाल के समय गूंज उठी, जिसका वित्त राज्य मंत्री और बाद में माननीय वित्त मंत्री द्वारा सरकारी और निजी बैंकों को इसे रोकने के लिए कठोरता से हिदायत जारी की है। इसी प्रकार का उदाहरण मैं अपने गोंदिया शहर के नगर परिषद का देता हूं जहां उनके द्वारा मकान दुकान मालमत्ता कर प्रॉपर्टी टैक्स वसूलने के लिए दबंगई दिखाई जाती है जहां वसूली के लिए प्रशासकीय अधिकारी को साथ नगर परिषद का पूरा महकमा निकल पड़ता है, जिसमें मेरा मानना है कि कुछ अन्य विभागों के कर्मचारी तो कुछ बाहरी लोग भी शामिल होते हैं और घर मकान मालक दुकानदारों के साथ दबंगई मनमानी जोर-जबर्दस्ती कर जब्ती की धमकी दी जाती है जिसे मैंने कई बार अपनी आंखों से देखा है। मेरा मानना है कि इस प्रकार की गैर मानवीय व संवेदनहीनता अन्य शहरों नगरों में भी वहां की नगर परिषद महानगर पालिका सहित अन्य प्रकार की स्थानीय संस्थाओं द्वारा की जाने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता, जिसे स्थानीय कलेक्टर द्वारा उन स्थानीय निकायों को हिदायत देने की खास ज़रूरत है। चूंकि आज ऋण वसूली पर जोर जबरदस्ती नहीं करने व मानवीय संवेदनशीलता आधार अपनाने की हिदायत माननीय केंद्रीय मंत्री द्वारा दी गई है इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे,बैंक ऋण वसूली रिकवरी के अनैतिक मनमाने तरीकों की संसद के मानसून सत्र में गूंज, स्थानीय निकायों संस्थाओं द्वारा मकान या प्रॉपर्टी टैक्स वसूली में जोर जबरदस्ती जब्ती पर रोक लगाकर मानवीय वसंवेदनशीलता का आधार जरूरी हैं।
साथियों बात अगर हम केंद्रीय वित्तमंत्री द्वारा संसद में बैंकों के लोन रिकवरी पर बैंकों को गंभीरता से आगाह और हिदायत देने की करें तो, हाल के दिनों में बैंकों के रिकवरी के तौर तरीकों को लेकर लगातार सवाल उठते रहे हैं। आज की इसकी गूंज संसद में भी सुनाई दी जब प्रश्नकाल में बैंकों के मनमाने और अनैतिक तरीके से लोन की रिकवरी करने को लेकरलोकसभा में प्रश्नकाल में प्रश्न पूछा गया।पहले इस प्रश्न का जवाब वित्त राज्यमंत्री दे रहे थे, लेकिन बाद में खुद वित्तमंत्री ने इस प्रश्न का जवाब दिया। इसी महीने 6 जुलाई 2023 को वित्तमंत्री ने सरकारी बैंकों के प्रतिनिधियों के साथ बैंकों के कामकाज की समीक्षा करने के लिए बैठक की थी। इस बैठक में वित्तमंत्री ने बैंकों से कस्टमर्स की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए सर्विसेज को सरल बनाने के साथ ग्राहकों की सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करने को कहा था, बता दें कि वित्त मंत्री ने बैंकों को निर्मम तरीके से रोल की रिकवरी करने को लेकर आगाह किया है। वित्त मंत्री ने कहा कि बैंकों द्वारा जोर जबरदस्ती के साथ लोन को रिकवरी करने की उन्हें शिकायतें मिली हैं। वित्त मंत्री ने कहा कि उन्होंने सरकारी से लेकर निजी सभी बैंकों को ये हियादत दी है लोन रीपेमेंट के प्रोसेस के दौरान सख्त कदम उठाने से परहेज करें, साथ ही ऐसे मामलों में संवदेनशील और मानवीय आधार पर कोई भी कार्रवाईकरें।
साथियों बात अगरहमआरबीआई द्वारा कस्टमर्स को प्रताड़ित करने के बढ़ते मामलों का संज्ञान लेने की करें तो, पिछले दिनों बैंकिंग सेक्टर के रेग्यूलेटर आरबीआई ने बैंकों के रिकवरी एजेंट्स द्वारा कस्टमर्स को प्रताड़ित करने के बढ़ते मामले का संज्ञान लिया है। रिकवरी एजेंट्स के हाथों कस्टमर्स के प्रताड़ना को रोकने के लिए आरबीआई ने गाइडलाइंस भी तैयार किया है, जिसमें रिकवरी एजेंट्स द्वारा की गई बदसलूकी और उनकी कार्रवाई की जिम्मेदारी अब बैंकों,एनबीएफसी और फिनटेक कंपनियों पर होगी। आरबीआई ने रेग्यूलेटेड इकाईयों से कहा कि उन्हें ये सुनिश्चित करना होगा कि उनके रिकवरी एजेंट्स कर्ज वसूली के दौरान कस्टमर्स को ना तो धमकी दें और ना उन्हें प्रताड़ित करें।लोगों की निजता का उल्लंघन कर सार्वजनिक तौर पर अपमानित करने की मंशा के साथ कोई कार्रवाई नहीं करेंगे।रिकवरी कॉल केवल सुबह 8 से शाम 7 बजे तक की ही की जा सकती है। साथ ही रिकवरी एजेट्स फोन या सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक मैसेज नहीं भेज सकते।रबित ने 2008 के एक परिपत्र में बैंकों को चेतावनी दी थी कि यदि उसे एजेंटों के बारे में शिकायतें मिलती हैं तो वह वसूली एजेंटों कोशामिल करने पर बैंक पर प्रतिबंध लगाने पर विचार कर सकता है। इसके अलावा, बैंकों को समय समय पर अपने वसूली तंत्र की समीक्षा करने और दिशा निर्देशों में सुधार के लिए अपने सुझाव देने के लिए कहा गया था।कस्टमर्स के लिए ये जानना जरुरी है अगर वे पेमेंट डिफॉल्ट करते हैं और रिकवरी एजेंट्स उनसे संपर्क करने के दौरान प्रताड़ित कर रहा तो उसके कॉल, एसएमएस ईमेल कारिकॉर्ड जरुर रखें, तत्काल रुप से राहत के लिए पुलिस में भी शिकायत दर्ज करा सकते हैं। पुलिस से राहत नहीं मिलने पर कोर्ट से राहत लेकर प्रताड़ना के लिए मुआवजा क्लेम कर सकते हैं। प्रताड़ना जारी रहने पर आरबीआई के पास शिकायत कर सकते हैं।
साथियों बात अगर हम लोन गरीबों के लिए टेंशन और अमीरों द्वारा लिया गया लोन बैंकों के लिए टेंशन की करें तो, आम आदमी यदि लोन न चुका पाए तो वित्तीय संस्थाओं द्वारा उसे डराया-धमकाया भी जाता रहा है. यही वजह है कि भारतीय रिजर्व बैंक ने वित्तीय संस्थानों द्वारा लोन रिकवरी के संबंध में कुछ सख्त कानून बनाए हैं, ये कानून आम आदमी के हितों की रक्षा करते हैं, जबकि बैंकों समेत सभी वित्तीय संस्थानों को कड़े नियमों में बांधते हैं, ताकि वे मनमानी न कर पाएं। अगर हमने बैंक से लोन लिया है और किस्त चुकाने से चूक गए हैं तो बैंक वसूली के नाम पर मनमानी नहीं कर सकता है। फिर भी देशभर में रिकवरी एजेंट्स की मनमानी के कई मामले सामने आते रहते हैं, इसलिए जरूरी है कि हम आरबीआई के इन नियमों के बारे में अच्छे से जान लें, ताकि अगर कोई एजेंट हमको लोन के पैसों के लिए डराये-धमकाये तो हमें पता हो कि हमारे पास क्या कानूनी अधिकार है।
साथियों बात अगर हम लोन रिकवरी नियमों की करें तो, हम जब भी किसी बैंक से लोन लेते हैं और अगर दो ईएमीआई नहीं चुकाते है तो बैंक सबसे पहले हमको एक रिमाइंडर भेजता है। लेकिन तीन किस्त का भुगतान नहीं करने पर बैंक हमको एक कानूनी नोटिस भेजगा और चेतावनी देगा कि अगर आप पेमेंट नहीं करते हैं तो बैंक की तरफ से आपको डिफॉल्टर घोषित कर दिया जाएगा। वहीं, नोटिस के बाद बैंक रिकवरी एजेंट के माध्यम से ग्राहक से लोन की रिकवरी शुरू करता है। बैंक के लोन रिकवरी एजेंट अगर हमको डराते-धमकाते हैं तो हम सीधे पुलिसशिकायत कर सकते हैं चूंकि लोन की किस्त नहीं चुका पाना सिविल विवाद के दायरे में आता है। अगर बैंक अधिकारी या रिकवरी एजेंट इन नियमों को तोड़ते हैं तो ग्राहक इसकी शिकायत पुलिस या आरबीआई से कर सकते हैं। हाल ही में आरबीआई ने प्राइवेट सेक्टर के आरबीएल बैंक पर 2.27 करोड़ रुपये का जुर्माना ठोका था, यह जुर्माना इसलिए लगाया था क्योंकि बैंक ने लोन रिकवरी एजेंट भर्ती करने के लिए कुछ जरूरी नियमों का पूरे तरीके से पालन नहीं किया था। इसके अलावा, बैंकों को समय-समय पर अपने वसूली तंत्र की समीक्षा करने और दिशा-निर्देशों में सुधार के लिए अपने सुझाव देने के लिए कहा गया था। केंद्रीय बैंक ने कहा है कि ये दिशानिर्देश सभी वाणिज्यिक बैंकों, सहकारी बैंकों, एनबीएफसी, एआरसी और अखिल भारतीय वित्तीय संस्थानों पर लागू होंगे।
अतःअगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन करउसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि बैंक ऋण वसूली, रिकवरी के अनैतिक, मनमाने तरीकों की संसद के मानसून सत्र में गूंज़।सरकारी व निजी बैंकों को लोन रीपेमेंट, रिकवरी के लिए जोर जबरदस्ती नहीं करने, मानवीय व संवेदनशील आधार अपनाने की हिदायत।स्थानीय निकायों, संस्थाओं द्वारा मकान या प्रॉपर्टी टैक्स वसूली में जोर-जबर्दस्ती ज़ब्ती पर रोक लगाकर मानवीय व संवेदनशील आधार अपनाने का निर्देश ज़रूरी है।
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