राष्ट्रभाषा या राजभाषा | rashtrabhasha ya rajbhasha

राष्ट्रभाषा या राजभाषा

राष्ट्रभाषा या राजभाषा | rashtrabhasha ya rajbhasha
अपने ही देश में दिवस मनवाने की मोहताज़ हूँ,विवश हूँ मैं..
राष्ट्रभाषा हूँ या राजभाषा हूँ,
आज भी इस बात की 'बहस' हूँ मैं।

भारत माता की माथे की बिंदी कोई कहता,
स्वतंत्रता आंदोलन की एकता वाली हिंदी कोई कहता,
'बोलती है मेरे माथे की बिंदी ' कोई कहता..
अपने ही लोगों के विविधता के विचारों से तहस -नहस हूँ मैं...
राष्ट्रभाषा हूँ या राजभाषा हूँ.... मैं।।

मैं सबके शब्दों को सीने की मालिका में मोतियों सा पिरोती हूँ,
फिर भी अपने ही गाँव में गँवार कहला कर रोती हूँ।
मुझसे 'रोटी' कमाने वालों के मुँह से भी 'गुड नाईट' सुन के सोती हूँ,
'उन' अंग्रेजी बोलनेवालों की भी कीर्ति हूँ, यश हूँ मैं..
राष्ट्रभाषा हूँ या राजभाषा हूँ.... मैं।।

आज विदेश भी मुझे अपना रहे हैं,
'राष्ट्रीयता ' से बढ़के 'क्षेत्रीयता' है, कुछ ये भी सुना रहे हैं,
'कमाई' की बात हो तो बात -बेबात सभी बतिया रहे हैं,
पता नहीं मीठी हूँ, कर्कश हूँ या कश्मकश हूँ मैं..
राष्ट्रभाषा हूँ या राजभाषा हूँ.... मैं।।

अलिखित रूप से लोग मुझे राष्ट्रभाषा हिंदी कहते हैं,
जैसे बापू को अलिखित रूप से
राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी कहते हैं,
नौकरानी को न्यायरानी -राजरानी बनाने का क्या एक 'दुस्साहस' हूँ मैं?
राष्ट्रभाषा हूँ या राजभाषा हूँ.... मैं।।

अपने ही देश में दिवस मनवाने की मोहताज़ हूँ,विवश हूँ मैं..
राष्ट्रभाषा हूँ या राजभाषा हूँ,
आज भी इस बात की 'बहस' हूँ मैं।।

About author 

-डॉ दीपक क्रांति,  गुमला झारखण्ड

-डॉ दीपक क्रांति, 
गुमला झारखण्ड

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