कविता -अभिव्यक्ति का अंतस्
October 14, 2023 ・0 comments ・Topic: Bhaskar datta poem
अभिव्यक्ति का अंतस्
भाव की अंगडा़ई
मन की खामोश और गुमसुम परछाई में
कि कहीं कोई चेहरा...
चेहरे की रंगत
कविताओं में हिलकोरे लेती
मुझमें ही डूबती जा रही है
बड़ी आंत से छोटी आंत में
कुंडली के ऊपर फन पटककर...
पर क्या आप विश्वास करेंगे?
कतई नहीं...
क्योंकि मैं मनुष्यों की झोली में
बंदरों और बंदरगाहों का खज़ाना हूँ,
जिसमें दिल भी है और दिल्ली भी....
मगर नजरें हैं कि टिकती ही नहीं..
Post a Comment
boltizindagi@gmail.com
If you can't commemt, try using Chrome instead.