कविता - तितली | kavita Titli

कविता :तितली | kavita - Titli 

कविता - तितली | kavita Titli
आसमान है रंग-बिरंगी
रातों की झिलमिल-झिलमिल
औ तारों की चमक सुनहली
तितली के पंखों - सी

उड़ी हुई तितली पूछो
कहां तुम्हारा घर है?
कहां तुम्हें मिलती है इतनी
रंग-बिरंगी आज़ादी ....

या फिर रखती हो पौधों पर
अपने रस का स्वर संवेद
और अगर तुम बतलाओगी
अपनी उड़न कहानी तो ...

ग़ायब होते देश बिक रहे
तेरी पंख बने पतवार
रक्षा हो रक्षित जीवन की
और सुरक्षा का संभार...

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भास्कर दत्त शुक्ल  बीएचयू, वाराणसी
भास्कर दत्त शुक्ल
 बीएचयू, वाराणसी

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