सफलता सांझी है | safalta saanjhi hai
March 29, 2024 ・0 comments ・Topic: kanchan chauhan poem
सफलता सांझी है
मत भूल सफलता सांझी है,कुछ तेरी है, कुछ मेरी है ।
मां -बाप और बच्चे सांझे है,
कुछ रिश्ते -नाते सांझे हैं।
कुछ जिम्मेदारी सांझी है ,
कुछ हिस्सेदारी सांझी है।
मेहनत जो तुमने की है तो,
इंतज़ार मैंने भी किया तेरा।
कुछ लम्हें तन्हा काटे हैं,
कुछ तुम बिन फ़र्ज़ निभायें हैं।
मेहनत तेरी तभी रंग लाई है,
जिम्मेदारी जब तेरी, मैंने निभाई है।
इसलिए सफलता सांझी है,
कुछ तेरी है, कुछ मेरी है।
मत भूल सफलता सांझी है,
कुछ तेरी है, कुछ मेरी है।
तुम से पूर्ण रूप मेरा,
और मुझसे हो सम्पूर्ण तुम।
मैं और तुम दोनों हम हैं,
हम दोनों से ये दुनिया है।
जो कुछ भी है,सब दोनों का,
फिर लाभ हो या फिर हानि है।
कुछ तेरी जिम्मेदारी है,
कुछ मेरी जिम्मेदारी है।
इसलिए सफलता सांझी है,
कुछ तेरी है, कुछ मेरी है।
कंचन चौहान
कुछ हिस्सेदारी सांझी है।
मेहनत जो तुमने की है तो,
इंतज़ार मैंने भी किया तेरा।
कुछ लम्हें तन्हा काटे हैं,
कुछ तुम बिन फ़र्ज़ निभायें हैं।
मेहनत तेरी तभी रंग लाई है,
जिम्मेदारी जब तेरी, मैंने निभाई है।
इसलिए सफलता सांझी है,
कुछ तेरी है, कुछ मेरी है।
मत भूल सफलता सांझी है,
कुछ तेरी है, कुछ मेरी है।
तुम से पूर्ण रूप मेरा,
और मुझसे हो सम्पूर्ण तुम।
मैं और तुम दोनों हम हैं,
हम दोनों से ये दुनिया है।
जो कुछ भी है,सब दोनों का,
फिर लाभ हो या फिर हानि है।
कुछ तेरी जिम्मेदारी है,
कुछ मेरी जिम्मेदारी है।
इसलिए सफलता सांझी है,
कुछ तेरी है, कुछ मेरी है।
कंचन चौहान
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