kavita-tufaan by anita sharma
"तूफान"
कोरोना का संकट कम था क्या?
जो,प्राकृत आपदा टूट पड़ी ।
कहीं घरों में पानी घुसा,
कहीं आँधी से वृक्ष गिरे।
तेज हवाओं ने झंझावातो में डाल दिया, खंबो तारों को अव्यवस्थित कर बिजली संकट बढ़ा दिया।
अस्पतालो में बिन बिजली,
मरीजों की जान पर बन आई ।
विधाता की लीला समझ न आई,
चारों ओर त्राहि त्राहि का स्वर गूँजा।
हुआ वार पर वार बड़ा,
तबाही का आलम खूब दिखा।
समुद्रो की लहरों ने भी,
मचल उठा कोलाहल तूफान मचाया।
प्रकोप कहूँ,आपदा कहूँ ,
या मानवता का भौतिक आकर्षण।
आँधी-पानी ने जीवन झकझोर दिया,
रुका थका बोझिल सा इन्सान ।
अब कहर से राहत दो परमपिता,
अपनी सृष्टि का नव सृजन करो।।
----अनिता शर्मा झाँसी
(मौलिक रचना)
जो,प्राकृत आपदा टूट पड़ी ।
कहीं घरों में पानी घुसा,
कहीं आँधी से वृक्ष गिरे।
तेज हवाओं ने झंझावातो में डाल दिया, खंबो तारों को अव्यवस्थित कर बिजली संकट बढ़ा दिया।
अस्पतालो में बिन बिजली,
मरीजों की जान पर बन आई ।
विधाता की लीला समझ न आई,
चारों ओर त्राहि त्राहि का स्वर गूँजा।
हुआ वार पर वार बड़ा,
तबाही का आलम खूब दिखा।
समुद्रो की लहरों ने भी,
मचल उठा कोलाहल तूफान मचाया।
प्रकोप कहूँ,आपदा कहूँ ,
या मानवता का भौतिक आकर्षण।
आँधी-पानी ने जीवन झकझोर दिया,
रुका थका बोझिल सा इन्सान ।
अब कहर से राहत दो परमपिता,
अपनी सृष्टि का नव सृजन करो।।
----अनिता शर्मा झाँसी
(मौलिक रचना)