Bada dil sabke pas nhi hota by Jitendra kabir
बड़ा दिल सबके पास होता नहीं
अपनी जरूरत से बढ़कर पैसा
होता है बहुतों के पास
लेकिन किसी जरूरतमंद की
उससे सहायता करने का
बड़ा दिल सबके पास होता नहीं,
अगर होता तो हमारे समाज में
अमीर-गरीब के बीच इतना ज्यादा अंतर
कभी होता नहीं।
अपनी भूख से बढ़कर भोजन
होता है बहुतों के पास
लेकिन किसी भूख से पीड़ित को
प्यार से खिला देने का
बड़ा दिल सबके पास होता नहीं,
अगर होता तो इस दुनिया में
कोई भी मजबूर इंसान भूख से पीड़ित
कभी होता नहीं।
किसी क्षेत्र में सफलता का हुनर
होता है बहुतों के पास
लेकिन उस क्षेत्र में नये लोगों को
सफलता के सूत्र बताने का
बड़ा दिल सबके पास होता नहीं,
अगर होता तो हर क्षेत्र में
नाकाम लोगों का बड़ा हुजूम
कभी होता नहीं।
जितेन्द्र 'कबीर'
यह कविता सर्वथा मौलिक अप्रकाशित एवं स्वरचित है।
साहित्यिक नाम - जितेन्द्र 'कबीर'
संप्रति - अध्यापक
पता - जितेन्द्र कुमार गांव नगोड़ी डाक घर साच तहसील व जिला चम्बा हिमाचल प्रदेश
संपर्क सूत्र - 7018558314