Bas tujhko hi paya by pravin pathik
" बस,तुझको ही पाया है"
खो दिया सब कुछ मैंने यूॅं
बस, तुझको ही पाया है।
ऑंखों में था प्रणय-प्यास,
पलकों में हया की लाली थी।
होठों पे कुछ मीठे सरगम,
जैसे गाती कोयल काली थी।
इंद्रधनुष सी सतरंगी सपनें,
उठते हृदय में बार- बार।
मॅंझधार बीच तरिणी मेरी,
बेकल थी पाने को किनार।
तुझको पाने की चाहत में,
हर द्वंदो से टकराया है।
खो दिया सब कुछ मैंने यूॅं,
बस, तुझको ही पाया है।
तुझको पाकर है जीवन पूर्ण,
गया न रह अब कुछ भी शेष।
लगी यादों की बारात सदा,
है चित्त शांत, स्वप्न निर्निमेष।
जब न थी तब तेरी यादें,
अत्यंत प्रबल हो जाती थीं।
कसकता उर क्षण-प्रतिक्षण,
मिलने की चाह बढ़ाती थी।
सारी दुनिया को छोड़ सदा,
हाॅं, तुझको ही अपनाया है।
खो दिया सब कुछ मैंने यूॅं,
बस, तुझको ही पाया है।
प्रवीन "पथिक"
बलिया (उत्तरप्रदेश)