kavi hona saubhagya by sudhir srivastav

कवि होना सौभाग्य

kavi hona saubhagya by sudhir srivastav


कवि होना सौभाग्य की बात है क्योंकि ये ईश्वरीय कृपा और माँ शारदा की अनुकम्पा के फलस्वरूप किसी किसी को ही मिलता है।कवि की कल्पनाशीलता विलक्षण होती है।कवि की सोच आम जन की सोच से बहुत अलग होती है।कवि की कल्पना शीलता इसी बात से महसूस हो जाती है कि वह कहीं भी किसी भी जगह से अपने सृजन का आधार ढूंढ ही लेता है।उसके लिए असंभव शब्द का कोई मतलब नहीं है।निर्जीव वस्तुओं में वह अपनी रचनाधर्मिता से प्राण फूँक देता है। उसकी सोच कब,कहाँ,कैसे अपनी सृजनात्मक क्षमता के दर्शन कर। दे,आमजन के लिए चकित करने वाला होता है।
इसके अतिरिक्त कलमकारों की भूमिका समाज, राष्ट्र में सूत्रधार जैसी होती है।उसकी लेखनी से दिशा निर्धारण तो होता ही है,दशा भी परिर्वतित होती है।
कवि हमेशा अपनी कल्पनाशीलता को धार देता रहता है सृजनात्मक क्षमता को उजागर करके भी।व्यवस्था पर चोट भी पहुँचा कर सही राह पर लाने का स्पष्ट इशारे भी करता है,तो गलत का विरोध भी अपनी लेखनी के माध्यम से करना अपना कर्तव्य भी निभाता है। बिना किसी स्वार्थ और लालच के वह बिना किसी लाभ हानि का ध्यान किए कलम का सिपाही मोर्चे पर मुस्तैद रहता है।शायद इसी लिए अधिकतर कवि/लेखक अर्थाभाव झेलते हुए भी अपने जुनून के प्रति ईमानदार बने रहते हैं,सम्मान भी पाते हैं,ऊँचा मुकाम भी हासिल करते हैं।देश दुनियां में नाम कमाते हैं।दुनियां से विदा होकर भी जिंदा रहते हैं।
कवि के लिए शैक्षिक योग्यता का बहुत योगदान नहीं है।यह एक विलक्षण क्षमता है,जो स्वमेव प्रकट होकर प्रकाशित होती है।
इसलिए कहना सत्य ही है कि कवि होना सिर्फ भाग्य नहीं सौभाग्य की बात है ।क्योंकि यह सौभाग्य ऊँच नीच, छोटे, बड़े, अमीर, गरीब ,जाति, धर्म, क्षेत्र ,स्थान या भाषा का भेद किये बिना किसी किसी को ही मिलता है।
◆ सुधीर श्रीवास्तव
गोण्डा(उ.प्र.)

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