Kavita ek seema jaruri hai by jitendra kabir

 एक सीमा जरूरी है

Kavita ek seema jaruri hai by jitendra kabir



रिश्तों में अनुचित मांग पर

एक बार जब हम झुक जाते हैं,

तो आने वाले बहुत समय के लिए

झुकने का एक सिलसिला सा

शुरू कर जाते हैं।


सामने वाला समझने लगता है

ऐसा करना जन्मसिद्ध अधिकार अपना

और हम इसे कलह टालने के लिए

एक जरूरी बलिदान समझने

लग जाते हैं।


रिश्तों में जरूरत से ज्यादा

जब हम किसी की मदद करने 

लग जाते हैं

तो जीवन की कठिनाईयों का सामना

करने में उसे 

पंगु बनाने की शुरुआत कर जाते हैं।


सामने वाला समझने लगता है

मदद पाना जन्मसिद्ध अधिकार अपना

और नहीं हो पाए मदद कभी

तो रिश्ते टूटने की कगार पर पहुंच जाते हैं।


                                    जितेंद्र 'कबीर'


साहित्यिक नाम - जितेन्द्र 'कबीर'

संप्रति - अध्यापक

पता- जितेन्द्र कुमार गांव नगोड़ी डाक घर साच तहसील जिला चम्बा हिमाचल प्रदेश



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