Bal kavita raat by mainudeen kohri

बाल कविता
 रात

Bal kavita raat by mainudeen kohri


रात हुई भई रात हुई ।

दिन हो गया ज्यूँ छुई मुई ।।


रात हुई अंधेरा साथ लाई ।

आसमान में तारों की बारात आई ।।


टिमटिम- टिमटिम तारे चमके ।

गिनते- गिनते आँखें झपके ।।


छोटे- छोटे झुरमुट से तारे ।

कुछ पगडंडी जैसे लगते तारे ।।


सबसे बड़ा चमकीला तारा ।

उत्तर दिशा में दिखता ध्रुवतारा।।


अलगअलग समय कुछ दिखते तारे ।

सप्त ऋषिमण्डल कीर्ति कुछ तारे।।


तारे देख दादी-नानी समय बताती ।

रात जाते-जाते तारे साथ ले जाती ।।

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स्वरचित / अप्रकाशित रचनाएं

*मईनुदीन कोहरी नाचीज़ बीकानेरी

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