Chot laghukatha by Akanksha Rai

 चोट

Chot laghukatha by Akanksha Rai


प्रोफेसर राय को उनकी कृति ‘स्त्री:तेरी कहानी’ के लिए आज सम्मानित किया जाना था।प्रोफेसर कालोनी से लगभग सभी उनके सम्मान समारोह में जा रहे थे।कुछ औरतें मिसेज राय को भी बुलाने जा पहुंची।’ना’ करते हुए मिसेज राय ने रात की घटना बताई कि कैसे वो सीढियों से फिसल कर गिर गई थीं और उन्हें माथे में चोट भी लग गई थी।लेकिन बहुत मना करने पर भी अंततः हारकर मिसेज राय को कार्यक्रम में जाना ही पड़ा।


प्रोफेसर राय मंच पर बोल रहे थे।अचानक प्रोफेसर राय की नजर मिसेज राय पर पड़ी और वे अपना भाषण भूल किसी सोच में डूब गए।कुछ देर बाद मिसेज राय की चोट को देखते हुए उन्होंने अपना भाषण पुनः शुरू किया-हाँ तो,मैं कह रहा था कि औरतों पर बल-प्रयोग किसी पुरूषत्व की निशानी नहीं वरन् कायरता का द्योतक है………।भाषण देते वक्त प्रोफेसर राय की नजरें अब नीचे झुकी हुईं थी,आवाज भी कुछ फीकी पड़ गयी थी और मिसेज राय के अंतस में तो बस रात वाली घटना चक्कर काट रही थी लेकिन ये घटना उस घटना से भिन्न थी जो मिसेज राय ने पड़ोस की औरतों को बताया था।


आकांक्षा राय(शोधार्थी)
हिंदी तथा आधुनिक भारतीय भाषा विभाग
लखनऊ विश्वविद्यालय।

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