नशा मुक्ति पर कविता
September 14, 2021 ・0 comments ・Topic: poem
नशा मुक्ति पर कविता
व्यंग्य–नशा मुक्ति अभियान
जीवन का सुख उठाना है
तो खूब मजा कीजिए,जितना नशा कर सकते हैं
वो सब भरपूर कीजिए,
मरना तो आखिर एक दिन सबको है
फिर बुढ़ापे में जाकर मरें
इससे अच्छा है चलते फिरते
निपट जायें बहुत अच्छा है।
हमारी सरकार भी तो आखिर
खुल्लमखुल्ला यही चाहती है,
बेरोजगारी नशे की आड़ में
शायद कम करना चाहती है,
राजस्व पाने की चाहत इतनी
नशे का उत्पादन बंद नहीं कराती,
उल्टे नशा मुक्ति अभियान चलाती है।
नशा मौत है सबको समझाती है
नशीले उत्पादों पर देखिये
नशे के खतरे बताती है,
हमारी सरकार गंभीर है
नशे की सुविधा के साथ साथ
इलाज का भी इंतजाम करती है।
यह कैसी विडंबना है यारों
सरकार सब कुछ करती है
हमारे जीने की चिंता तो करती ही है
ये अलग बात है हमारे मरने का
कितना ख्याल भी रखती है,
नशीले उत्पादों से काफी धन कमाती है
उसी राजस्व से हमें सुविधाएं बाँटती है
कुछ भी नहीं बचा पाती है।
पर उसकी उदारता तो देखिये
इसी बहाने कम से कम
करोड़ों लोगों को प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष
रोजगार तो उपलब्ध ही कराती है,
नशा मुक्ति अभियान में भी
खुले हाथ धन ही नहीं
कीमती समय भी खुशी खुशी
व्यर्थ में ही गँवाती है,
हमारी चिंता का बोध कराती है।
✍ सुधीर श्रीवास्तव
गोण्डा, उ.प्र.
8115285921
©मौलिक, स्वरचित
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