Hal-a-dil by Mahesh Ojha
October 08, 2021 ・0 comments ・Topic: poem
हाल-ए-दिल
हाल अपना सुनाएं हम कैसे उन्हें,
वो तो ग़ैरों की महफ़िल में रमे जा रहे।
एक नज़र भी ना देखें वो मेरी तरफ़,
बेरुखी से हम उनकी मरे जा रहे।।
हाल अपना …
वो जो ख्वाबों में अक्सर सताते रहे,
दिल पे बिजली हमेशा गिराते रहे।
बन कर भानमती आज महफ़िल में हर,
प्राणघातक वो दिल पर कहर ढा रहे।।
हाल अपना …
माना कोमल हृदय उनका दिल है बड़ा,
काली नागन सी ज़ुल्फ़ें घटा है जड़ा।
कोई देखे जो जी भर उन्हें एकटक,
लुट के कंगाल हो वो खड़ा ही खड़ा।।
हाल अपना …
रूप दरपन में उनका समाता नहीं,
तन की खुशबू मधुबन खपा पाता नहीं।
होंठ ऐसे रसीले हैं मीठे शहद,
कोयल भी बोली में पार पाता नहीं।।
हाल अपना …
दिल की हसरत है उनसे कहूँ बात वो,
दबी चाहत में उलझी है जज़्बात जो।
पर ज़ुबां ना कहे जो कहे है नज़र,
बीते आग़ोश में संग कोई शाम तो।।
हाल अपना …
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