Mai kya likh du by vijay Lakshmi Pandey

 मैं क्या लिख दूँ.!!!

प्रस्तुत कविता में हो रहा संवाद हमारे और हमारे बेटे के बीच का  है...!!

Mai kya likh du by vijay Lakshmi Pandey


तूनें कहा कुछ श्री राम पर लिख..!

खुद  राम  सा  वन गमन   किए ..!!!


उन  पर लिखूँ  या तुझ पर लिखूँ..!

किस पर लिखूँ  क्या  कह  गए...?


माता    कैकेयी    पिता  दशरथ..!

मन्थरा    को    मध्यस्थ  कर ...!!!


दनुज  दलन  को  वन  गये वो..!

पर    लखन  के  संग गए  वो..!!!


तुमको  किसनें  वन वास किया.?

तुम  जो  अकेले  घर  से गये..!!!


बता..!  किसके    निमित्त  गए ..?

न  कुछ  कह  गए ना सुन  गए ..!!!


आराध्य   हैं   श्री  राम   हमारे . .!

पर  तुम "विजय" की आस हो..!!!


क्यों  कहा  श्री राम  पर लिख..?

क्या   लिखूँ  ना  कह    गए ...!!!


जन्म   लिख  दूँ,  बाल  लीला..!

या     गुरुवर    संग    श्रेष्ठता ..?


कौशल्या  का  त्याग  लिख दूँ ..?

या    प्रसंग  कुछ  व्याह   के ..!!!


न सजी बारात  निज  धाम से..!

जो    माताओं   के  चाह  थे...!!!


या     गमन      वनवास    के ..?

दशरथ  मरण  ,सीता  हरण ..!!!


विभीषण की गद्दारी  लिख  दूँ ..?

या      लंकापति   नाश    के..!!!


सीता    पुनर्वनवास   लिख दूँ..?

अग्नि     परीक्षा   मात    के ..!!!


तूनें कहा कुछ श्री राम पर लिख..!

कुछ  तो कहो मैं क्या लिख  दूँ.!!!


उन पर लिखूँ या तुझ पर लिखूँ ..?

किस  पर  लिखूँ  क्या   कह गए...??


उन   सा  तेरा   किरदार     था ..!

तुम  तो  सदा   मेरा    राम  था ...!!!


तुझ   पर   मुझे  अभिमान  था..!

यह    कैसा    गुरु    मंत्र    था ...???


राम   सा    जीवन     लिख   दूँ..?

या  वनवास   आजीवन  लिख दूँ.??


उन पर  लिखूँ  या तुझ पर लिखूँ..!

कुछ तो कहो  मैं क्या  लिख दूँ..???

                 विजय लक्ष्मी पाण्डेय
                 एम. ए., बी.एड.(हिन्दी)
                  स्वरचित  मौलिक रचना
                          एक आत्म मंथन
                           आजमगढ़,उत्तर प्रदेश

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