Tum kaho to by vijay Lakshmi Pandey
October 08, 2021 ・0 comments ・Topic: poem
तुम कहो तो...!!!
तुम कहो तो महकूँ मैं
और चुन लूँ
जिंदगी के चार पल
या ख़ुशी से
मौन
जो तुम्हें भाए
सदा ...!!!
मुस्कुराऊँ
या हँसू बेख़ौफ़
या करूँ दीदार
कुछ न बोलूँ
सूख जाऊँ
ज्यों पतझड़ की
शाख़...!!!
या कहूँ कुछ और
और चाहूँ और
जो तुम्हें भाये ,
लुभाये
जो सुनाए खूबसूरत
राग....!!!
तुम कहो तो दफ़न
कर दूँ
हसरतों के शोर
या सुनाऊँ
अनकहे
कुछ बेख़ुदी से गीत
जो हमारे उम्र भर के
हसीन पल के
कत्ल
जो तुम्हें घायल करे..!!!
या निहारूँ
अपलक,निर्निमेष
तुम कहो तो बहकूँ मैं
जो हमारे जिंदगी के
भोर...!!!
या मिलूँ मैं
छंद में
या बनूँ मैं व्यंजना
या "विजय" सी चाह
तुम कहो तो....!!!
तुम कहो तो...!!!
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