Aaj ke Raja-Mahraja by Jitendra Kabir
November 13, 2021 ・0 comments ・Topic: poem
आज के राजा - महाराजा
पुराने समय में
राजा - महाराजा बांटा करते थे
उनकी इच्छानुसार
मनोरंजन करने की एवज में
अपनी दरबारी नर्तकियों को
हीरे - जवाहरात, जमीन - जायदाद
जैसे ढेरों उपहार
राजा की विद्या, बुद्धि और
पराक्रम का बहुत ज्यादा बढ़ा चढ़ाकर
व्याख्यान करने वाले चारणों
एवं विदूषकों का भी
खूब किया जाता था मान - सम्मान,
दरबारियों, पदाधिकारियों
एवं रिश्तेदारो के बीच
राजा की नजर में
खुद को उसका शुभचिंतक और
दूसरों को दुश्मन साबित करने के
षड़यंत्रों की भी होती थी भरमार,
मुश्किल थी उस समय भी
उन लोगों की जिंदगी
जिन्होंने जनता की भलाई के लिए
राजा की ज्यादतियों अथवा
तानाशाही का विरोध किया
अच्छी तरह जानते समझते हुए
उसका परिणाम,
समय जरूर बदला है आज
लेकिन बदला नहीं
अपने राजनैतिक अथवा
वैचारिक विरोधियों के प्रति
सत्ताधारियों का थोड़ा भी मिजाज,
नहीं बदले सत्ता के लालच में
किए जाने वाले षड़यंत्र
और न ही बदला सत्ताधीशों के
हर अच्छे बुरे कार्यों को
ज्यादा से ज्यादा महिमा मंडित करके
मान - सम्मान हासिल करने का रिवाज,
पहले जो सुख - सुविधाएं भोगते थे
राजा - महाराजा,
शक्तियों का जो करते थे
निरंकुश इस्तेमाल,
आज के सत्ताधारी नेताओं की भी तो है
वैसी ही तानाशाही चाल।
जितेन्द्र 'कबीर'
साहित्यिक नाम - जितेन्द्र 'कबीर'
संप्रति- अध्यापक
पता - जितेन्द्र कुमार गांव नगोड़ी डाक घर साच तहसील व जिला चम्बा हिमाचल प्रदेश
संपर्क सूत्र - 7018558314
Post a Comment
boltizindagi@gmail.com
If you can't commemt, try using Chrome instead.