Bhaiya dooj by Sudhir Srivastava
भैयादूज
कार्तिक मास शुक्ल पक्ष
द्वितीया तिथि को भैया दूज होता है,
इसी दिन चित्रगुप्त जी का
पूजन भी होता है,
भाई यम और बहन यमुना के
अद्भुत मिलन का ये पर्व
यम द्वितीया भी कहलाता है।
व्यस्त रहा यम बहुत दिनों से
बहन से न मिल पाया,
जब यम बहन से मिलने आया
तभी से यह दिवस भाई बहन के
मिलन का शुभदिवस
भैयादूज कहलाया।
मान्यता ये भी है कि
भाई बहनों के घर जाये,
बहन भाई का खुशी खुशी
आदर सत्कार करे,
रोली अक्षत चंदन से टीका करे
आरती उतारे, मिष्ठान खिलाए
सुख समृद्धि की मंगल कामना करे
प्रेम से भोजन कराये
बार बार आने का आग्रह करे।
भाई बहन के पैर छूए
आशीर्वाद ले ही नहीं ,दे भी
मायके आने का आमंत्रण भी दे
मायके में पूर्ववत सम्मान,अधिकार का
पूर्ण विश्वास दिलाए,
माँ बाप की कमी न महसूस होने दे
बहन ही नहीं बेटी की तरह
दुलार प्यार दे,उपहार दे।
भाई दूज की सार्थकता को
मजबूत आधार दे।
तब भाई ही नहीं बहन का भी
निश्चित कल्याण होगा,
यम और यमुना का आशीर्वाद मिलेगा
दोनों का जीवन खुशहाल होगा।