मृत्यु
क्यों भागता हैं इंसान तू मुझसे
इक अटल सत्य हूँ मैंजीवन का सफर जहाँ ख़त्म है होता
वह मंजिल मृत्यु हूँ मैं
मेरी इक गुजारिश है तुमसे,
केवल डर से मेरे,जीवन जीना मत छोड़ना
जीवन तो देन है, ईश्वर की आनंद से तुझे इसे है जीना
कर्म करना धर्म है तेरे जीवन का बन्दे
बस उनको रखना है नेक सदा तुझको
क्योंकि इक दिन जो होगी मुलाक़ात तुझसे मेरी,
कोई डर या घबराहट न सताएगी तुमको
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