पता नही-अजय प्रसाद
"पता नहीं "
खुश हूँ मैं या खफ़ा पता नही
दुआ हूँ के बददुआ पता नही ।हलचल तो है धड़कनो में यार
हूँ मगर क्या, ज़िंदा पता नही।
सुबहो शाम करूँ सांसें तमाम
और कुछ तो इसके सिवा नही।
मिटा दे जो अमीरी-गरीबी को
बनी आज तक कोई दवा नही।
कहने को तो हैं सभी अपने याँ
हाँ वक्ते गर्दिश कोई सगा नही ।