खुशियां दिखावे की- डॉ इंदु कुमारी

खुशियां दिखावे की

खुशियां दिखावे की- डॉ इंदु कुमारी
ना तुम खुश हो ना हम खुश हैं
यह खुशियां है दिखावे की
यह जमाना है बड़े जालिम
किसी का ना मर्म समझता है
मतलबी है यहां इंसान
किसी का नज्म टटोलता है
शरीफों में है जो शामिल
गिरगिट सा रंग बदलता है
मुखौटा सरलता का पहनकर
वह जालिम रंग बदलता है
सादगी जो दिखाते दिन के
उजालों में वही रातों में
देखो वही कैसे डसते हैं
यह दोस्ती है क्या चीज
यह भी है दिखावे की
जो घायल है पड़ा यहां
मतलब की मरहम लगाते हैं
ना तुम खुश हो ना हम खुश हैं
यह खुशियां हैं दिखावे की
यह खुशियां है दिखावे की

डॉ इंदु कुमारी
मधेपुरा बिहार

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