स्वर कोकिला पंचतत्व में विलीन

 स्वर कोकिला पंचतत्व में विलीन  

स्वर कोकिला पंचतत्व में विलीनभारत ने अपना रत्न खो दिया- यह सरस्वती का स्वर विराम है- पार्थिव शरीर को तिरंगे से लपेटा गया था 

सारे विश्व में एक सूरज एक चांद एक लता जी- आने वाली पीढ़ियां उन्हें भारतीय संस्कृति का अनमोल रत्न के रूप में याद रखेगी- एड किशन भावनानी

गोंदिया - सारे विश्व में एक सूरज एक चांद एक लता जी किसी परिचय की मोहताज नहीं थी परंतु आज सुबह 8.12 बजे भारत ने अपना रत्न खो दिया। बसंत पंचमी सरस्वती दिवस से 1 दिन बाद यह वसंत हमसे रूठ गया मां सरस्वती उन्हें अपने चरणों में रखें यह मां सरस्वती का एक स्वर विराम है। संगीत की कोई सीमा नहीं होती दुनिया ने भारत की कोकिला के निधन की खबर सुनते ही अमेरिका, फ्रांस, इजराइल, अफगानिस्तान, संयुक्त राष्ट्र सहित अनेक देशों ने संदेशों द्वारा शोक व्यक्त किया।

दीदी के व्यक्तित्व का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि स्वर कोकिला के निधन की खबर से माननीय पीएम ने अपनी गोवा वर्चुअल रैली कैंसिल कर दी, 2 दिन का राष्ट्रीय शोक, तिरंगा आधा झुका रहेगा। अंतिम दर्शन में पीएम की उपस्थिति, केंद्रीय गृह मंत्री सहित महाराष्ट्र के सीएम,हर क्षेत्र के दिग्गजों ने अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की है दीदी के जाने से संगीत क्षेत्र में क्षति को पूरा नहीं किया जा सकता। 92 वर्षीय दीदी ने 36 भाषाओं में 50 हज़ार गाने गाए जो रिकॉर्ड है तथा एक हज़ार से अधिक फिल्मों में आवाज दी। 

करीब 80 साल से संगीत क्षेत्र में सक्रिय दीदीका जन्म 28 सितंबर 1929 को मध्य प्रदेश के इंदौर में हुआ था और 13 वर्ष की छोटी सी उम्र में 1942 से उन्होंने गाना शुरू किया था तथा उनके पिता पंडित दीनानाथ मंगेशकर संगीत की दुनिया और मराठी रंगमंच के जाने पहचाने नाम थे। दीदी को 2001 में भारत रत्न मिला था इसके अतिरिक्त दीदी को अनेक सम्मान पद्मविभूषण, पद्मभूषण और दादा साहब फाल्के पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था दीदी बेस्ट गायिका और 61 वर्ष की उम्र में नेशनल अवार्ड जीतने वाली एकमात्र गायिका रही। 

पेडर रोड मुंबई स्थित प्रभु कुंज की खुशियों पर विराम और आभा गुम महसूस होगी सारे विश्व को उनके निधन पर दुख है। भारत में शायद ही कोई व्यक्ति होगा जो दीदी का नाम नहीं जानता होगा हम सभी के लिए एक ऐसी क्षति है जिसकी पूर्ति कभी नहीं हो सकती क्योंकि एक सूरज एक चांद और एक लता दीदी है। दीदी को मां सरस्वती अपने चरणों में स्थान दें यही हम सब की कामना श्रद्धांजलि है।

साथियों बात अगर हम रविवार दिनांक 6 फरवरी 2022 को सुबह 8.16 पर निधन की करें तो यह खबर हवा से भी कई गुना अधिक तीव्रता से फैली और हर व्यक्ति स्तब्ध रह गया मानो एक युग थम सा गया हो। तानपुरे से सितार तक और बांसुरी से शहनाई तक सभी बेसुरे, बेताल महसूस हो रहे थे और तबला, पखावज, ढोल, मृदंग सब बेताल महसूस हो रहे थे। तिरंगे तक ने सिर निवां दिया परंतु विश्वास ही नहीं हो रहा था कि स्वर कोकिला दीदी नहीं रही। 

साथियों बात अगर हम शाम 7.16 पर उन्हें मुखाग्नि देने की करें तो राजकीय सम्मान के साथ भाई और भतीजे ने मुखाग्नि दी। भतीजे आदित्य ने मुखाग्नि दी और भाई हृदयनाथ मंगेशकर झुके सिर और नम आंखों से हर वह काम करते रहे जो आदित्य कर रहे थे और बगल में सब कुछ देख रही दीदी की बहने भी मौजूद थी। 

यह सब कुछ देर रात तक अनेक टीवी चैनलों पर लाइव दिखाया जा रहा था और लगातार अनेक चैनलों पर दीदी की जिंदगी से जुड़े हर पल दिखाए बताए जा रहे थे जिसे करीब-करीब हर व्यक्ति नम आंखों से देख रहे होंगे 

साथ ही कई बड़े बुजुर्ग फूट-फूट कर रोने भी लगे यह मंजर मैंने अपनी छोटी सी सिटी गोंदिया में भी देखा कि कई बुजुर्ग फूट-फूट कर रो रहे थे और परिवार वाले उन्हें सांत्वना बंधा रहे थे जो सोशल मीडिया पर काफी वायरल भी हो रहे हैं। साथियों बात अगर हम मुखाग्नि के समय की करें तो श्रद्धांजलि देने मुंबई के फिल्मी उद्योग की मशहूर हस्तियों सहित बहुत बड़े व्यक्तित्व भी शामिल थे जिसमें माननीय पीएम की उपस्थिति विशेष उल्लेखनीय रही। 

साथियों बात अगर हम राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री द्वारा श्रद्धांजलि शब्दों की करें तो, राष्ट्रपति भवन ने राष्ट्रपति के हवाले से ट्वीट किया, लता दीदी जैसा कलाकार सदियों में एक बार पैदा होता है। वह एक असाधारण व्यक्ति थीं, जो उच्च कोटि के व्यवहार की धनी थीं। राष्ट्रपति ने शोक व्यक्त करते हुए कहा, लता जी का निधन मेरे लिए, दुनियाभर के लाखों लोगों के लिए हृदयविदारक है। 

माननीय उपराष्ट्रपति ने प्रख्यात गायिका लता मंगेशकर के निधन पर गहरा दुःख व्यक्त किया। उन्होंने भारतीय सिनेमा की स्वर कोकिला के देहावसान पर शोक प्रकट करते हुए कहा कि लता जी के निधन से भारत ने अपनी आवाज को खो दिया है। भारतीय सिनेमा की सुर साम्राज्ञी लता मंगेशकर जी का निधन देश की और संगीत जगत की अपूरणीय क्षति है। लता जी के निधन से आज भारत ने अपना वह स्वर खो दिया है जिसने हर अवसर पर राष्ट्र की भावना को भावपूर्ण अभिव्यक्ति दी। उनके गीतों में देश की आशा और अभिलाषा झलकती थी। 

माननीय पीएम ने कहा, मैं इस दुख को शब्दों में व्यक्त नहीं कर सकता। सरल और देखभाल करने वाली लता दीदी अब हमारे बीच नहीं हैं। उनके जाने से देश में एक रिक्त स्थान बन गया है जिसे कभी नहीं भरा नहीं जा सकता। आने वाली पीढ़ियां उन्हें भारतीय संस्कृति के एक दिग्गज के रूप में याद रखेंगी, उनकी सुरीली आवाज में लोगों को मंत्रमुग्ध कर देने की एक अद्वितीय क्षमता थी। लता दीदी के गीतों में भावनाओं की विविधता थी। उन्होंने दशकों तक भारतीय फिल्म जगत के बदलावों को करीब से देखा। फिल्मों से परे, वह हमेशा भारत के विकास को लेकर सजग थीं। वह हमेशा एक मजबूत और विकसित भारत को देखना चाहती थीं। मैं इसे अपना सम्मान मानता हूं कि मुझे लता दीदी से हमेशा अपार स्नेह मिला है। उनके साथ मेरी बातचीत अविस्मरणीय रहेगी। मैं लता दीदी के निधन पर अपने देशवासियों के साथ अत्यंत दुखी हूं। उनके परिवार से बात की और संवेदना व्यक्त की। ओम शांति। 

साथियों बात अगर हम दीदी के गाने पर पूर्व प्रधानमंत्री के रोने की करे तो, देश की बुलबुल अब और नहीं गा सकेगी लेकिन उनकी आवाज और गाने अमर हैं। वह हमेशा लोगों के दिलों में रहेंगी। लता मंगेशकर के गाने कानों से दिल की गहराइयों में उतरते हैं। उनके कुछ गीत तो ऐसे हैं जिन्हें सुनकर बड़ी से बड़ी हस्तियां अपने आंसू नहीं रोक पाईं। ऐसा ही एक गाना है ऐ मेरे वतन के लोगों..जरा आंख में भर लो पानी। इस गाने को सुनकर उस वक्त देश के प्रधानमंत्री रहे जवाहर लाल नेहरू भी रो पड़े थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी रो चुके हैं। इस गाने को लिखे जाने की कहानी बड़ी रोचक है। 

साथियों बात अगर हम दीदी के निधन पर सम्मान स्वरूप राष्ट्रीय शोक की करें तो पीआईबी के अनुसार भारत सरकार आज अत्यंत दु:ख के साथ सुश्री लता मंगेशकर के निधन की घोषणा कर रही है। दिवंगत महान गायिका के सम्मान में, भारत सरकार ने निर्णय लिया है कि आज से पूरे भारत में दो दिन का राजकीय शोक रहेगा। राष्ट्रीय ध्वज 06.02.2022 से 07.02.2022 तक पूरे भारत में आधा झुका रहेगा और कोई भी आधिकारिक मनोरंजन आयोजन नहीं होगा। यह भी निर्णय लिया गया है कि सुश्री लता मंगेशकर का राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा। 

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि स्वर कोकिला पंचतत्व में विलीन हो चुकी है तथा भारत ने अपना रत्न खो दिया है।यह सरस्वती का स्वर विराम है। स्वर कोकिला का पार्थिव शरीर तिरंगे में लिपटा था तथा सारे विश्व में एक सूरज एक चांद एक लता जी रहेगी। आने वाली पीढ़ियां उन्हें भारतीय संस्कृति के अनमोल रत्न के रूप में याद रखेगी। 

-संकलनकर्ता लेखक- कर विशेषज्ञ एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र


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