क्यों एक ही दिन मां के लिए

क्यों एक ही दिन मां के लिए

जयश्री बिरमी  अहमदाबाद
मोहताज नहीं मां तुम एक खास दिन की
तुम इतनी खास हो कि शायद रब को भी होगी मां की ही चाह

चाहे सब ही तुम ही को चाहे राजा हो या हो रंक
तुम बिन सुना हैं संसार तू ही तो हैं बच्चों की तारणहार

सुख में तुम साथ हो या न हो
पर हो दुःख में हो तुम हरदम साथ

मनाती सारी दुनियां इस दिन को तेरे नाम से
लेकिन मेरे लिए तो रात दिन हफ्ता महीना हो या हो पूरा साल

हर दिन ही मेरा तेरा खास हैं
तू साथ नहीं हो के भी तुम साथ हो मेरे

जयश्री बिरमी
अहमदाबाद
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