शोहरतों का परचम- सुधीर श्रीवास्तव

 शोहरतों का परचम

सुधीर श्रीवास्तव

शोहरतों के परचम 

लहराने का गर इरादा है

तो कुछ ऐसा कीजिए

जो अलग हो औरों से

काम आये जन जन के।

न खुद को कमजोर समझो

बस अटल इरादा कर लो,

जूनून पैदा करो और बढ़ चलो

बिना की प्रतीक्षा के,

देर सबेर कारवां खुद बन जायेगा

तब तक तुम्हारे नाम का

हर ओर डंका बज जायेगा

तुम्हारी शोहरतों का परचम

खुद बखुद लहराएगा। 

सुधीर श्रीवास्तव
गोण्डा, उत्तर प्रदेश
८११५२८५९२१
© मौलिक,स्वरचित
०६.०४.२०२२

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