शोहरतों का परचम- सुधीर श्रीवास्तव
May 09, 2022 ・0 comments ・Topic: poem sudhir_srivastava
शोहरतों का परचम
शोहरतों के परचम
लहराने का गर इरादा है
तो कुछ ऐसा कीजिए
जो अलग हो औरों से
काम आये जन जन के।
न खुद को कमजोर समझो
बस अटल इरादा कर लो,
जूनून पैदा करो और बढ़ चलो
बिना की प्रतीक्षा के,
देर सबेर कारवां खुद बन जायेगा
तब तक तुम्हारे नाम का
हर ओर डंका बज जायेगा
तुम्हारी शोहरतों का परचम
खुद बखुद लहराएगा।
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