कविता:क्यों करे अपेक्षा?| kyon kare apeksha

March 15, 2023 ・0 comments

क्यों करे अपेक्षा?

एक धनी धन देगा,
आत्मविश्वासी प्रण लेगा,
जिसके पास जो भरपूर है
उनके पास वो उस शण मिलेगा।

प्रसन्न व्यक्ति खुशी देगा,
निराश व्यक्ति दुखी करेगा,
समझने वाली बात है,
बबूल पर फूल कहां से खिलेगा?

क्यों किसी से अपेक्षा करें,
क्यों किसी से शिकवा करें,
जिसके पास जो है उसने वह दिया,
क्यों ना इस बात को गौर से परखें।

हम हैं सम्मान से भरपूर क्यों ना हम सम्मान दें,
प्रेम और समझदारी बहुत है इस जहान में,
हम हैं संयम से भरपूर, तो क्यों ना समझदारी दिखाएं,
इन बातों को समझ जाए,
क्यों बन रहे नादान है।

घायल के साथ घायल ना हो,
अपितु उनकी चोट को ठीक करो,
क्रोध में कोई मानसिक संतुलन खो बैठे,
उनके घाव को भरने की कोशिश करो।

किसी से कुछ अपेक्षा ना करें,
अपनी झोली शिकायत से ना भरे,
रखें स्वयं के संस्कारों को मजबूत,
दुखियारो से और ना लड़े।।

About author

Dr. Madhvi borse
डॉ. माधवी बोरसे
अंतरराष्ट्रीय वक्ता
स्वरचित मौलिक रचना
राजस्थान (रावतभाटा)

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