पॉलिटिकल साइंस बनाम पब्लिक साइंस| political science vs public science

political science vs public science
सब राज़नीति है और कुछ नहीं!

पॉलिटिकल साइंस बनाम पब्लिक साइंस

हर जगह बात यहीं समाप्त होती है कि, राजनीति हो रही है! क्या यह निष्कर्ष का सूचक है? - एडवोकेट किशन भावनानी
गोंदिया - वैश्विक स्तरपर घर से लेकर मोहल्ला चौराहा शहरजिला राज्य और देश स्तर पर हर स्थान पर किसी भी विषय पर बातेंबहुत होती है और उसका अंत इसी बात पर हो जाता है कि यह तो राजनीति हो रही है! हमें सच्चाई झूठाई सही गलत का पता या अंदेशा नहीं होता है,लेकिन अनायास ही हम कह देते हैं कि राजनीति हो रही है! बड़े-बड़े झगड़ों विवादों सामाजिक समस्याओं से लेकर देश की समस्यायों समाधानों में किसी एक या दोनों पक्षों द्वारा यह सुनने को मिलता है कि राजनीति हो रही है! परंतु क्या हम राजनीति का अर्थ जानते हैं? यदि बात हमारे पक्ष में हुई हो तो ठीक, नहीं तो हम कह देते हैं कि मेरे साथ राजनीति हो रही है! अभी हाल ही में दिनांक 13 मार्च 2023 को संसद में विपक्ष के नेता के अब्रॉड में बयानों, रिसर्च रिपोर्ट, ईडी सीबीआई के छापे इत्यादि को लेकर बजट के दूसरे सत्र के पहले दिन ही जोरदार हंगामा हुआ और सदन 14 मार्च 2023 तक स्थगित कर दिया गया। दूसरी ओर एक राज्य के सत्ताधारी उपमुख्यमंत्री और उनके परिवार पर ईडी के छापों से भी माहौल गरमाया हुआ है। इसपर ही उपमुख्यमंत्री महोदय ने पॉलिटिकल साइंस और पब्लिक साइंस का उल्लेख करके कहा कि उनके झूठ, अफवाह और फर्जी राजनीतिक मुकदमों से लड़ने के लिए हमारे पास राजनीतिक ज़मीन है, जिगर है और ज़मीर भी है, उनके पास छल बल और धन बल है तो हमारे पास जनबल है। वे पॉलिटिकल साइंस वाले हैं, हम पब्लिक साइंस वाले है। चूंकि आज पॉलिटिकल और पब्लिक साइंस की बात मीडिया में खूब उछली इसलिए आज हम मीडिया में आई जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे कि, पॉलिटिकल साइंस बनाम पब्लिक साइंस, सब राजनीति है और कुछ नहीं !
साथियों बात अगर हम राजनीति की करें तो, राजनीति दो शब्दों का एक समूह है राज+नीति (राज मतलब शासन और नीति मतलब उचित समय और उचित स्थान पर उचित कार्य करने की कला) अर्थात् नीति विशेष के द्वारा शासन करना या विशेष उद्देश्य को प्राप्त करना राजनीति कहलाती है। दूसरे शब्दों में कहें तो जनता के सामाजिक एवं आर्थिक स्तर (सार्वजनिक जीवन स्तर)को ऊँचा करना राजनीति है । नागरिक स्तर पर या व्यक्तिगत स्तर पर कोई विशेष प्रकार का सिद्धान्त एवं व्यवहार राजनीति (पॉलिटिक्स) कहलाती है। अधिक संकीर्ण रूप से कहें तो शासन में पद प्राप्त करना तथा सरकारी पद का उपयोग करना राजनीति है।राजनीति में बहुत से रास्ते अपनाये जाते हैं जैसे- राजनीतिक विचारों को आगे बढ़ाना,विधि बनाना, विरोधियों के विरुद्ध युद्ध आदि शक्तियों का प्रयोग करना। राजनीति बहुत से स्तरों पर हो सकती है- गाँव की परम्परागत राजनीति से लेकर, स्थानीय सरकार, सम्प्रभुत्वपूर्ण राज्य या अन्तराष्ट्रीय स्तर पर। राजनीति का इतिहास अति प्राचीन है जिसका विवरण विश्व के सबसे प्राचीन सनातन धर्म ग्रन्थों में देखनें को मिलता है। राजनीति की शुरुआत रामायण काल से भी अति प्राचीन है। महाभारत महाकाव्य में इसका सर्वाधिक विवरण देखने को मिलता है । चाहे वह चक्रव्यूह रचना हो या चौसर खेल में पाण्डवों को हराने कि राजनीति। अरस्तु को राजनीति का जनक कहा जाता है। आम तौर पर देखा गया है कि लोग राजनीति के विषय में नकारात्मक विचार रखते हैं , यह दुर्भाग्यपूर्ण है, हमें समझने की आवश्यकता है कि राजनीति किसी भी समाज का अविभाज्य अंग है ।महात्मा गांधी ने एक बार टिप्पणी की थी कि राजनीति ने हमें सांप की कुंडली की तरह जकड़ रखा है और इससे जूझने के सिवाय कोई अन्य रास्ता नहीं है। राजनीतिक संगठन और सामूहिक निर्णय के किसी ढांचे के बिना कोई भी समाज जीवित नहीं रह सकता।
साथियों बात अगर हम राजनीति की विशेषता की करें तो,राजनीति का निर्माण सामान्यतः सत्ता की प्राप्ति हेतु होता हैं और सत्ता की प्राप्ति हेतु राजनीति का उपयोग किया जाता हैं। राजनीति का क्रियान्वयन प्रायः नीति के आधार पर ही किया जाता हैं। राजनीति की सफलता हेतु प्रायः हिंसा अहिंसा एवं दिखावे का सहारा लिया जाता हैं, राजनीति का स्वरूप नेगेटिव एवं पॉजिटिव दोनों होता हैं।राजनीति क्षेत्रीय राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय तीनों प्रकार से की जाती हैं। एक देश दूसरे देश पर अपना वर्चस्व जमाने के लिए जिस कूटनीति का सहारा लेता हैं उसका निर्माण ही राजनीति से ही होता हैं। राजनीति (पॉलिटिक्स) का निर्माण दो लोगों के मध्य वार्तालाप या क्रिया द्वारा होता हैं।राजनीति किसी कार्य में सफल होने में प्रायः आपकी सहायता करती हैं, परंतु राजनीति का अच्छा प्रयोग करना विश्वके सभी लोगोंका कर्तव्य हैं।राजनीति में सकारात्मक सोच होना बहुत जरूरी हैं। इसके लिए हमको निरंतर सकारात्मक शासक की जीवनी के बारे में अध्ययन करने की जरुरत हैं।
साथियों बात अगर हम भारतकी राजनीति की करें तो यह संविधान के ढाँचे में काम करती हैं।जहाँ पर राष्ट्रपति सरकार का प्रमुख होता हैं और प्रधानमंत्री कार्यपालिका का प्रमुख होता हैं। भारत एक संघीय संसदीय, लोकतांत्रिक गणतंत्र हैं,भारत एक द्वि-राजतन्त्र का अनुसरण करता हैं,अर्थात, केन्द्र में एक केन्द्रीय सत्ता वाली सरकार और परिधि में राज्य सरकारें। संविधान में संसद के द्विसदनीयता का प्रावधान हैं, जिस में एक ऊपरी सदन (राज्य सभा) जो भारतीय संघ के राज्य तथा केन्द्र-शासित प्रदेश का प्रतिनिधित्व करता हैं, और निचला सदन (लोक सभा) जो भारतीय जनता का प्रतिनिधित्व करता हैं, सम्मिलित हैं।शासन एवं सत्ता सरकार के हाथ में होती है। संयुक्त वैधानिक बागडोर कार्यपालिका एवं संसद के दोनो सदनों, लोक सभा एवं राज्य सभा के हाथ में होती है। न्याय मण्डल शासकीय एवं वैधानिक, दोनो से स्वतंत्र होता है। संविधान के अनुसार, भारत एक प्रधान, समाजवादी, धर्म-निरपेक्ष, लोकतांत्रिक राज्य है, जहां पर विधायिका जनता के द्वारा चुनी जाती है। अमेरिका की तरह, भारत में भी संयुक्त सरकार होती है, लेकिन भारत में केन्द्र सरकार राज्य सरकारों की तुलना में अधिक शक्तिशाली है, जो कि ब्रिटेन की संसदीय प्रणाली पर आधारित है। बहुमत की स्थिति में न होने पर मुख्यमंत्री न बना पाने की दशा में अथवा विशेष संवैधानिक परिस्थिति के अंतर्गत, केन्द्र सरकार राज्य सरकार को निष्कासित कर सकती है और सीधे संयुक्त शासन लागू कर सकती है, जिसे राष्ट्रपति शासन कहा जाता है। भारत का पूरी राजनीती मंत्रियों के द्वारा निर्धारित होती है। भारत एक लोकतांत्रिक और धार्मिक और सामुदायिक देश है। जहां युवाओं में चुनाव का बढ़ा वोट केंद्र भारतीय राजनीति में बना रहता है यहां चुनाव को लोकतांत्रिक पर्व की तरह बनाया जाता है। भारत में राजनीतिक राज्य में नीति करने की तरह है। साथियों बात अगर हम पब्लिक साइंस की करे तो, सार्वजनिक विज्ञान अनुसंधान के लिए एक शब्द है जो जनता के बीच आयोजित किया जाता है, या इसमें शामिल है। सार्वजनिक विज्ञान की दो परंपराएं उभर कर सामने आई हैं, एक सहभागी कार्रवाई अनुसंधान पर आधारित और दूसरी विज्ञान पहुंच पर आधारित हैं।
साथियों बात अगर हम राजनीतिक विज्ञान और लोक प्रशासन की करें तो, ये दो निकट से संबंधित क्षेत्र हैं जो राजनीतिक और प्रशासनिक विषयों के वैज्ञानिक अध्ययन से संबंधित हैं।राजनीति विज्ञान एक सामाजिक विज्ञान है जो शासन प्रणाली और राजनीतिक गतिविधियों, राजनीतिक विचारों और राजनीतिक व्यवहार के विश्लेषण से संबंधित है। यह स्थानीय, राज्य, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सरकार और राजनीति के सिद्धांत और व्यवहार पर केंद्रित है। राजनीति विज्ञान सार्वजनिक जीवन का निर्माण करने वाले संस्थानों, प्रथाओं और संबंधों की समझ विकसित करने के लिए समर्पित है।राजनीति विज्ञान का विषय उन प्रक्रियाओं का विश्लेषण करता है जिनके द्वारा संसाधनों का आवंटन किया जाता है और एक राजनीतिक प्रणाली के भीतर मूल्यों का विकास और चर्चा की जाती है।लोक प्रशासन एक अकादमिक अनुशासन है जोसार्वजनिक नीति के निर्माण और कार्यान्वयन का अध्ययन करता है और सार्वजनिक सेवा में काम करने के लिए सिविल सेवकों को तैयार करता है।
अतः अगर हम उपरोक्त विवरण का अध्ययन करो उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि सब राज़नीति है और कुछ नहीं! पॉलिटिकल साइंस बनाम पब्लिक साइंस। हर जगह बात यहीं समाप्त होती है कि,राजनीति हो रही है! क्या यह निष्कर्ष का सूचक है।

About author

कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुख़दास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र
कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुख़दास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र 

Post a Comment

boltizindagi@gmail.com

Previous Post Next Post

#You may also like

#Advertisement