नव वसंत | Nav basant by priti Chaudhary
July 24, 2023 ・0 comments ・Topic: poem Priti Chaudhary
नव वसंत
नव वसंत तुम लेकर आना,पतझर सा है यह जीवन।
सूख चुकी है सब शाखाएँ,
झरते नित ही पात सघन।।
पाकर नेह -प्रेम के छींटे,
हरा भरा सा मन होगा।
बाँह थामकर साथ चलेंगे,
सुखमय यह जीवन होगा।।
हाथ पकड़कर चलना साथी,
तोड़ न देना यह बंधन ।
नव वसंत तुम लेकर आना,
पतझर सा है यह जीवन।।
प्रणय याचना करता है मन,
अब स्वीकृति दे दो प्रियवर ।
आकर मेरे नीरव मन को,
बना आज दो जीवित घर।
तुमसे सखा विलग कब होता,
रहता तुम में रमकर मन।।
नव वसंत तुम लेकर आना,
पतझर सा है यह जीवन।
याद करो वे प्यारी बातें,
जो हम दोनों ने की थीं।
इन पंकज नैनों से जाने,
कितनी मधुशाला पी थीं।।
आज तलक उन यादों में ही,
करती अभिलाषा विचरण।
नव वसंत तुम लेकर आना,
पतझर सा है यह जीवन।।
लेकर चूनर मर्यादा की,
मन पर रेखा खींची थी।
जड़ें गहन हैं उस तरुवर की,
हृदय-नेह से सींची थीं।।
मोह-पाश में नित्य बंधे मन,
यह है कैसा आकर्षण।
पतझर सा है यह जीवन।।
जनपद बुलंदशहर
उत्तर प्रदेश
उत्तर प्रदेश
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