India-Middle-East-Europe Economic Corridor

भारत अमेरिका की यारी - व्यापार का भूगोल बदलकर इतिहास रचने की बारी

India-Middle-East-Europe Economic Corridor
इंडिया-मिडल-ईस्ट-यूरोप इकोनामिक कॉरिडोर से भारत की भागीदारी का नया दरवाजा खुलेगा
नए आर्थिक गलियारा रूपी मज़बूत वैश्विक कनेक्टिविटी, सतत विकास में नया अध्याय जोड़ेगा, जो आने वाली पीढियां के लिए भी विकास का मूल आधार होगा - एडवोकेट किशन भावनानी गोंदिया
गोंदिया - वैश्विक स्तरपर जी20 नई दिल्ली 2023 दो दिवसीय महासम्मेलन का आगाज़ पूरी दुनियां में वर्चुअल छाया रहा। पूरा विश्व टकटकी नजरों से इसपर नज़रें गड़ाए हुए था। पूरे विश्व की मीडिया में जबरदस्त कवर देकर सम्मेलन की तारीफ की। कुछ विदेश नीति के जानकारविपक्षियों ने भी सम्मेलन की तारीफ की और सब ने यहमहसूस किया कि भारत के नेतृत्व में सम्मेलन होने से भारत की प्रतिष्ठा, नाम सहित पूरी दुनियां के बड़े-बड़े लीडरों से बढ़ती प्रगाढ़यता से सम्मेलनमें भारत का जबरदस्त आगाज़ दिखा और डंका बजा विशेष रूप से पहले ही दिन घोषणा पत्र पर सहमति, अफ्रीकी यूनियन को सदस्यता और इंडिया मिडिल ईस्ट यूरोप इकोनामिक कॉरिडोर पर संबंधित देशों के हस्ताक्षर होकर एक राय से परियोजना को आगे बढ़ानां जिसमें भारत को अमेरिका का जबरदस्त साथ मिला जो रेखांकित करने वाली बात है,जिसमें हम यह दिखा किभारत अमेरिका की यारी, व्यापार का भूगोल बदल कर इतिहास रचने की बारी आई है, क्योंकि यह आर्थिक गलियारा 6000 किलोमीटर लंबा होगा, जिसमें 3500 किलोमीटर समुद्री मार्ग होगा, इससे भारत 40 प्रतिशत कम समय में अपना सामान यूरोपीय देशों तक पहुंचाने में सफ़ल होगा और लॉजिस्टिक कीमतों का बहुत बड़ा समाधान इसके सहारे होगा। मुंबई से शुरू होकर यह गलियारा चीन के बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव का विकल्प भी होगा।भारत में आयात निर्यात बहुत सस्ता होगा। आज भारत के किसी भी कार्गो शिपिंग से जर्मनी पहुंचने में 36 दिन लगते हैंजिसमें अब 14 दिन की बचत होगी वहीं चीन इस समझौते सेबौखलाया हुआ है, क्योंकि इस कॉरिडोर से विकास के अनेक दूरगामी परिणाम होंगे, इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से, इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे,नए आर्थिक गलियारा रूपी मज़बूत वैश्विक कनेक्टिविटी, सतत विकास में नया अध्याय जोड़ेगी, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए भी विकास का मूल आधार होगा।
साथियों बात अगर हम इस आर्थिक गलियारा समझौते (आईईसीसीईसी) के उद्देश्य की करें तो, इसका उद्देश्य मध्य पूर्व के देशों को रेलवे से जोड़ना और उन्हें बंदरगाह के माध्यम से भारत से जोड़ना है। इस कॉरिडॉर के बनने के बाद से शिपिंग समय, लागत और ईंधन का इस्तेमाल कम होगा और खाड़ी से यूरोप तक ट्रे़ड फ्लो में मदद मिलेगी।इसके अलावा रेल और शिपिंग कॉरिडोर देशों को ऊर्जा उत्पादों सहित ज्यादा व्यापार के लिए सक्षम बनाएगा। इसकी घोषणा से पहले अमेरिकी अधिकारी ने कहा था कि अमेरिका की नजर से ये समझौता पूरे क्षेत्र में तनाव कम करेगा और हमें ऐसा लगता है कि इससे टकराव से निपटने में मदद मिलेगी। बता दें कि इस कॉरिडोर की अगुवाई भारत और अमेरिका साथ मिलकर करेंगे। इस समझौते के तहत कनेक्टिविटी और इंफ्रास्ट्रक्चर पर बड़े पैमाने पर काम होगा। यह ट्रेड रूट भारत को यूरोप से जोड़ते हुए पश्चिम एशिया से होकर गुजरेगा। शिखर सम्मेलन के पहले दिन ही कई अहम घोषणाएं भी की गई। इन घोषणाओं के अलावा 9 सितंबर को ही भारत, अमेरिका, संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, फ्रांस, जर्मनी, इटली और यूरोपीय संघ ने भारत-मध्य पूर्व यूरोप आर्थिक गलियारा स्थापित करने के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर भी किया।इस गलियारे की स्थापना सबसे अहम इसलिए भी है क्योंकि इसके निर्माण के साथ ही दुनियां के व्यपार का भूगोल बदल जाएगा।
साथियों बात अगर हम इस आर्थिक गलियारा से फायदे की करें तो, अगर भारत-मध्य पूर्व यूरोप आर्थिक गलियारा बनता है तो दक्षिण पूर्व एशिया से खाड़ी, पश्चिम एशिया और यूरोप तक व्यापार प्रवाह के मार्ग परमजबूती से आगे बढ़ेगा,इससे हमारे देश को न सिर्प आर्थिक बल्कि रणनीतिक लाभ मिलेगा, इसके अलावा लॉजिस्टिक्स और परिवहन क्षेत्र में बड़े अवसर पैदा होंगे। ये गलियारा हिंदुस्तान को वर्तमान की तुलना में तेज और सस्ता पारगमन विकल्प प्रदान करता है, इससे हमारे व्यापार और निर्यात को बढ़ावा मिलेगा। इसे एक हरित गलियारे के रूप में विकसित किया जा सकता है, जो कि हमारे हरित उद्देश्यों को बढ़ाएगा।क्षेत्र में हमारी स्थिति को मजबूत करेगा और हमारी कंपनियों को बुनियादी ढांचे के निर्माण में समान स्तर पर भाग लेने की अनुमति देगा। ये गलियारा आपूर्ति श्रृंखलाओं को भी सुरक्षित करेगा. रोजगार पैदा करेगा और व्यापार सुविधा और पहुंच में सुधार करेगा।
साथियों बात अगर हम इस इकोनामिक कॉरिडोर के बारे में जानने की करें तो इसे इस तरह समझा जा सकता है (1) भारत मध्य पूर्व यूरोप आर्थिक गलियारा, इस प्रोजेक्ट में दो अलग-अलग कॉरिडोर का निर्माण शामिल होगा, पहला है पूर्वी कॉरिडोर जो भारत को खाड़ी क्षेत्र से जोड़ने में मदद करेगा. तो वहीं दूसरा है उत्तरी कॉरिडोर जो कि खाड़ी क्षेत्र को यूरोप से जोड़ेगा (2) इस कॉरिडोर में रेलवे, शिपिंग नेटवर्क और सड़क परिवहन मार्ग शामिल होंगे (3) इस सौदे के बाद भारत, अमेरिका, संयुक्त अरब अमीरात, फ्रांस, फ्रांस, जर्मनी, इटली,जर्मनी सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और यूरोपीय संघ को अंतरराष्ट्रीय व्यापार में पहले की तुलना में काफी ज्यादा फायदा होगा। (4) समझौते के तहत इस कॉरिडोर में एक रेल और बंदरगाहों से जुड़ा नेटवर्क का निर्माण भी किया जाएगा, जिसमें सातों देश 'पार्टनरशिप फॉर ग्लोबल इंफ्रास्ट्रक्चर इनवेस्टमेंट' के तहत इन्वेस्टमेंट करेंगे (5) चीन के बीआरआई प्रोजेक्ट यानी 'बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव' की तर्ज पर ही इसे एक महत्वाकांक्षी योजना माना जा रहा है और यह प्रोजक्ट महाद्वीपों और सिविलाइजेशन के बीच एक ग्रीन और डिजिटल पुल माना जा रहा है।
साथियों बात अगर हम इस आर्थिक गलियारे से दुनियां की तस्वीर बदलने की करें तो, जी-20 के शिखर सम्मेलन में हुआ यह समझौता दुनियां के लिए तरक्की का नया रास्ता खोलना का जरिया है। इस समझौते में न सिर्फ अलग अलग देशों के बीच संपर्क बढ़ेगा बल्कि आने वाले समय में व्यपार और रोजगार में भी इजाफा होगा। यह पश्चिम में भारत की जमीनी कनेक्टिविटी को आसान बनाएगा और पाकिस्तान की रोक को बेअसर करेगा। साल 1990 में ही पाकिस्तान ने भारत की जमीनी कनेक्टिविटी के जरिए अफगानिस्तान और मध्य एशिया तक पहुंच देने से मना कर दिया था।इसके अलावा यह गलियारा अरब प्रायद्वीप के साथ भारत की रणनीतिक भागीदारी को गहरा करेगा। पिछले कुछ सालों में सरकार ने संयुक्त अरब अमिरात और साउदी अरब के साथ तेजी से राजनीतिक और रणनीतिक संबंध बनाए हैंअमेरिकी अखबार के अनुसार इस परियोजना से अंतर-क्षेत्रीय कनेक्टिविटी को बढ़ावा मिलेगा। जिससे अरब प्रायद्वीप में राजनीतिक गहमागहमी में भी कमी आएगी और क्षेत्र में शांति और स्थिरता भी आएगी।
साथियों बात अगर हम इस आर्थिक गलियारे से चीन को टेंशन की करें तो, इस परियोजना का वैश्विक व्यापार के लिए एक संभावित गेमचेंजर होने की उम्मीद है।यह चीन के व्यापक रणनीतिक बुनियादी ढांचे के निवेश का विकल्प पेश करेगी। इसलिए दावा किया जा रहा है कि इकनॉमिक कॉरिडोर के ऐलान के बाद चीन के होश उड़ गए हैं। चीन के इस झटके के पीछे भारत और अमेरिका का हाथ बाताया जा रहा है। दावा है कि इन दोनों देशों ने मिलकर चीन के बीआरआई प्रोजेक्ट का विकल्प तैयार किया और उसे दुनियां के सामने पेश भी कर दिया है। जी7 देशों द्वारा पोषित, पार्टनरशिप फॉर ग्लोबल इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट तहत स्थापित इस गलियारे का लक्ष्य चीन की बेल्ट एंड रोड (बीआरआई) पहल का मजबूती से जवाब देना है। पीजीआईआई द्वारा समर्थित जी7 का सामूहिक प्रयास, उभरते देशों में बुनियादी ढांचे के विकास को आर्थिक मदद देने से भागीदार देशों के बीच व्यापार वृद्धि में महत्वपूर्ण ऊर्जा उत्पादों के साथ वैश्विक आर्थिक संबंध और मजबूत होंगे।यूरोपीय संघ के अध्यक्ष ने इसके महत्व को रेखांकित करते हुए बताया कि यह गलियारा यात्रा के समय को 40 प्रतिशत तक कम कर देगा।उन्होंने इसे भारत, मध्य पूर्व और यूरोप के बीच सबसे सीधा संबंध बताया।इस बीच, सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस और पीएम ने इस परिवर्तनकारी पहल के फलीभूत होने के प्रति उत्सुकता जाहिर की है।हमारे पीएम ने इसे ऐतिहासिक साझेदारी बताते हुए कहा कि आने वाले समय में यह भारत, पश्चिम एशिया और यूरोप के बीच आर्थिक सहयोग का एक बड़ा माध्यम होगा।इस परियोजना को लेकर कोशिश ऐसे समय में सामने आई है जब सऊदी अरब और यूएई की चीन के साथ नजदीकी बढ़ती हुई दिख रही है। बता दें कि चीन ने हाल ही में मध्य पूर्व के साथ संबंधों को भी बढ़ावा दिया है, जिससे इस साल की शुरुआत में सऊदी अरब और ईरान के बीच तनाव दूर करने में मदद मिली है। तो जाहिर है भारत, अमेरिका और सऊदी की कोशिश से तैयार हो रहा यह इकनॉमिक कॉरिडोर चीन की सपनों और उम्मीदों पर पानी फेरने वाला है।यह परियोजना अपने दो मार्गों माध्यम से राष्ट्रों के बीच अधिक आर्थिक एकीकरण का मंच तैयार करती है, जिसमें शामिल हैं, पूर्वी गलियारा, जो भारत को अरब की खाड़ी से जोड़ता है और दूसरा है उत्तरी सिरा, जो अरब की खाड़ी को यूरोप से जोड़ेगा, वस्तुओं और सेवाओं की सुगम आवाजाही की सुविधा के लिए तैयार किए गए इस गलियारे में रेलवे और शिपिंग रूट होगा, जो डिजिटल और बिजली केबल नेटवर्क पर आधारित होगा।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि भारत अमेरिका की यारी -व्यापार का भूगोल बदलकर इतिहास रचने की बारी इंडिया मिडल ईस्ट-यूरोप इकोनामिक कॉरिडोर से भारत की भागीदारी का नया दरवाजा खुलेगा।नए आर्थिक गलियारा रूपी मज़बूत वैश्विक कनेक्टिविटी, सतत विकास में नया अध्याय जोड़ेगा, जो आने वाली पीढियां के लिए भी विकास का मूल आधार होगा।

About author

kishan bhavnani
कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट 
किशन सनमुख़दास भावनानी 

Post a Comment

boltizindagi@gmail.com

Previous Post Next Post

#You may also like

#Advertisement