भारत-कनाडा विवाद पर दुनियां की नज़र

भारत-कनाडा विवाद पर दुनियां की नज़र - कनाडा नाटो, जी-7, फाइव आइज़ का सदस्य तो भारत पश्चिमी देशों का दुलारा

भारत-कनाडा विवाद पर दुनियां की नज़र
भारत के अमेरिका सहित पश्चिमी साझेदारों से घनिष्ठ संबंध अहम हैं - अमेरिका ने कहा देश की परवाह किए बिना बुनियादी सिद्धांतों की रक्षा करेगा
अमेरिका को भारत-कनाडा में चुनना पड़ा तो, भारत को चुनेगा पेटांगन के पूर्व अधिकारी के बयान से भारत का रुतबा दिखा - एडवोकेट किशन भावनानी गोंदिया
गोंदिया - वैश्विक स्तरपर एक ओर भारत की दुनियां के विकसित देशों के साथ रणनीतिकसाझेदारी है, तो दूसरी ओर भारत ग्लोबल साउथ का नेता बनकर उभर रहा है वहीं तीसरी और वर्तमान परिपेक्ष में भारत अमेरिकी दोस्ती की प्रगाढ़यता दिनों दिन बढ़ती जा रही है। वहीं रूस के साथ भी भारत की पारंपरिक यारी रही है। यानें कहा जाए तो भारत वैश्विक स्तरपर दोनों महाशक्तियों के साथ बैलेंस बनाकर कुछल कूटनीति, विदेशनीति रणनीति अपना रहा है ताकि उसे किसी भी विपरीत परिस्थिति में किसी भी प्रकार का नुकसान ना हो। इसी रणनीति का हमें आज भारत कनाडा विवाद में सकारात्मक पहलू नजर आ रहा है कि कनाडा नाटो जी-7 फाइव आइज का सदस्य होने केबावजूद भारत-कनाडा विवाद में कोई पश्चिमी देश सीधे रूप से कनाडा के साथ खड़ा नजर नहीं आ रहा है। बल्कि कनाडा का विपक्ष भी उनके विरोध में खड़ा हो गया है। बता दें 2025 में कनाडा में आम चुनाव हैं जिसके चलते एकविशेष वर्ग के वोटो पर पकड़ रखने का यह रणनीतिक दांव भी हो सकता है, जिससे इनकार नहीं किया जा सकता,परंतु यह निश्चित लग रहा है कि भारत कनाडा के बिगड़ते संबंधों को ठीक होने में काफी लगभग लग सकता है, जिसका दुष्परिणाम दोनों देशों केनागरिकों सहित अनेक क्षेत्रों में पढ़ सकता है। परंतु पेटांगन के एक पूर्व अधिकारी द्वारा विवाद बढ़ने पर अमेरिका का रुख भारत के साथ आने के बयान से हमारी बाशें खिल उठी है, इसमें हम अपनी प्रतिष्ठा और रुतबा देख रहे हैं। चूंकि भारत-कनाडा संबंध काफी बिगड़ से जा रहे हैं, इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल माध्यम से चर्चा करेंगे,भारत अमेरिका को भारत-कनाडा में चुनना पड़ा तो भारत को चुनेगा, पेटांगन के पूर्व अधिकारी के बयान से भारत का रुतबा दिखा।
साथियों बात अगर हम 23 सितंबर 2023 को पेंटागन के एक पूर्व अधिकारी के बयान की करें तो, अमेरिकी रक्षा विशेषज्ञ बोले, अमेरिका, भारत का साथ देगा, माइकल रुबिन ने बड़ाबयान देते हुए कहा कि अमेरिका उस स्थिति में नहीं आना चाहता कि उसे दो दोस्तों में से किसी एक को चुनना पड़े, लेकिन अगर ऐसा होता है तो हम भारत को चुनेंगे क्योंकि निज्जर एक आतंकवादी था और भारत, अमेरिका के लिए अहम भी है। हमारे संबंध महत्वपूर्ण हैं। जस्टिन ट्रूडो लंबे समय तक कनाडा के पीएम नहीं रहेंगे और ऐसे में उनके जाने के बाद हम फिर से संबंध मजबूत कर सकते हैं। पेंटागन के पूर्व अधिकारी और अमेरिकन एंटरप्राइजेज इंस्टीट्यूट के वरिष्ठ फेलो ने भारत कनाडा विवाद पर कहा कि मुझे नहीं लगता कि कनाडा के सहयोगी देश उनकी थ्योरी से सहमत हैं। जब जमाल खाशोगी की इंस्तांबुल में हत्या हुई थी तो उस वक्त तुर्किए ने कई अहम सबूत दिए थे, जिसके चलते सऊदी अरब की दुनियाभर में आलोचना हुई थी। लेकिन यहां बिना सोचे समझे आरोप लगा रहे हैं और वह अब तक कोई सबूत पेश नहीं कर सके हैं। जब वे कहते हैं कि उनपर विश्वास कीजिए तो लगता है कोई भी उन पर विश्वास नहीं करता। यह सबकुछ चुनाव प्रचार के लिए हो सकता है, जिसमें उनकी हारने की संभावना दिख रही है। यही वजह है कि अमेरिका समेत फाइव आइज देश इस मुद्दे पर कनाडा का साथ नहीं दे रहे हैं। अब बात इसकी कि यह मुद्दा कितना लंबा खिंच सकता है, इस पर भी जानकारों की राय बंटी हुई है। अमेरिका के पूर्व रक्षा अधिकारी उन्होंने कहा है,अगर कनाडा इस मुद्दे पर विवाद करना चाहता है, तो यह किसी चींटी के हाथी से लड़ाई करने जैसा है। भारत रणनीतिक रूप से कनाडा से कहीं ज्यादा अहम है।इसे पश्चिम से आया सबसे मुखर बयान कह सकते हैं, क्योंकि इससे पहले वाशिंगटन में विल्सन सेंटर थिंकटैंक में साउथ एशिया इंस्टीट्यूट के निदेशक ने कहा था, मेरा मानना है कि यह हम सबके लिए सबक है कि भारत के पश्चिमी साझेदारों के साथ घनिष्ठ संबंधों में कुछ भी अलंघनीय नहीं है। यह एक चेतावनी है कि हां, भारत एक गुट-निरपेक्ष देश है, यह ग्लोबल साउथ के साथ अपने रिश्तों को तवज्जो देता है, यकीनन भारत के लिए पश्चिम के साथ संबंध अहम हैं, लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि इन संबंधों में किसी बड़े संकट की आशंका नहीं है, उन्होंने कहा कि खालिस्तानी आतंकी निज्जर की हत्या के मामले में भारत पर आरोप लगाकर कनाडा के पीएम ने बड़ी गलती कर दी है। यहां तक कि कनाडा के सहयोगी फाइव आइज (यूएस, यूके, न्यूजीलैंड अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया) देशों से भी कनाडा को वह समर्थन नहीं मिला, जिसकी वह उम्मीद कर रहे थे। वस्तुस्थिति आज तो यह है कि अधिकांश देश भारत—कनाडा विवाद पर चुप्पी साधे हैं। पेंटागन के पूर्व वरिष्ठ अधिकारी ने कनाडा पीएम की तीखी आलोचना करते हुए साफ कहा कि उन्होंने बिना सोचे भारत पर आरोप मड़ दिए हैं। उन्होंने कहा कि निज्जर कोई प्लंबर नहीं था। निज्जर वैसा ही प्लंबर था, ओसामा बिन लादेन कंस्ट्रक्शन इंजीनियर था। उन्होंने कहा कि कनाडा के पीएम को यह समझना होगा कि आतंकवादियों का साथ देकर वह अपने ही देश के लिए मुश्किल खड़ी करने जा रहे हैं। निज्जर की हत्या के मामले में भारत पर आरोप लगाकर कनाडा के पीएम फंसते नजर आ रहे हैं। दरअसल वे अपने आरोपों के पक्ष में कोई सबूत पेश नहीं कर पाए हैं, वहीं भारत ने जिस तरह से कनाडा के आरोपों पर कड़ा रुख अख्तियार किया है, उससे खुद कनाडा के पीएम भी हैरान होंगे। कनाडा के सहयोगी फाइव आइज देशों से भी अब उन्हें समर्थन नहीं मिल रहा है। अब अमेरिका के रक्षा मंत्रालय पेंटागन के एक पूर्व वरिष्ठ अधिकारी ने जस्टिन ट्रूडो की तीखी आलोचना की है और आरोप लगाया है कि ट्रूडो बिना सोचे समझे भारत पर आरोप लगा रहे हैं और इसमें वह फंस गए हैं।
साथियों अगर हम इस मामले पर कुछ विशेषज्ञों की राय की करें तो, कनाडा फाइव आइज इंटेलिजेंस गठबंधन का भी सदस्य है। ये पांचों देश फाइव आइज़ पैक्ट के तहत एक दूसरे से खुफिया जानकारियां शेयर करते हैं। इसलिए अमेरिका के अलावा ये देश भी प्रतिक्रिया दे रहे हैं, ब्रिटेन ने भी साफ कहा कि वो कनाडा की इस जांच का समर्थन करता है. वहीं ऑस्ट्रेलिया ने भी कहा कि भारत के खिलाफ लगे आरोप काफी गंभीर हैंऑस्ट्रेलिया के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि सभी देशों की संप्रभुता का सम्मान करना चाहिए और ऑस्ट्रेलिया ने भारत के उच्च अधिकारियों के साथ इस मुद्दे पर बात भी की है। इस विवाद पर दुनिया भर की नजर है. क्योंकि कनाडा नाटोऔर जी-7 का भी सदस्य है। अमेरिका ने कनाडा के आरोपों पर कहा कि वो देश की परवाह किये बिना बुनियादी सिद्धांतों की रक्षा करेगा।अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने कहा कि इस मामले में अमेरिका, भारत को कोई विशेष छूट नहीं देगा, इस मामले में अमेरिका, उच्च स्तर पर दोनों देशों के संपर्क में है। 21 सितंबर को वॉइट हाउस में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा, जैसे ही हमने कनाडा के पीएम के आरोपों के बारे में सुना, हमने सार्वजनिक रूप से इस मुद्दे पर चिंता जताई, जो कुछ हुआ उसकी सच्चाई जानने के लिए हम कानूनी प्रक्रिया का समर्थन करते हैं। दोनों देशों के बीच तनाव के बीच उन्होंने 21 सितंबर को आरोपों को दोहराया और कहा कि भारत को इसे गंभीरता से लेना चाहिए. ट्रूडो ने न्यूयॉर्क में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा, जैसा मैंने पहले भी कहा था, हमारे पास ऐसा मानने की वजह है कि भारत सरकार के एजेंट्स ने कनाडा में एक नागरिक को मारा है. ये हमारे देश के लिए एक बहुत बड़ा मुद्दा है। हम कानून से चलने वाले देश हैं। हम एक ऐसे दौर में हैं जहां दुनिया में चल रहीव्यवस्था जरूरी होती है. हमारे पास एक स्वतंत्र न्याय व्यवस्था है। हम चाहते हैं कि भारत सरकार हमसे बात करे ताकि हम इस मसले की सच्चाई तक पहुंच सकें। एक भूरणनीति का विश्लेषण है कि ट्रूडो के बयान की वजह से भारत और कनाडा के द्विपक्षीय रिश्तों को जो नुकसान पहुंचा है, उसकी भरपाई में लंबा वक्त लगेगा। वह कहते हैं कि कनाडा में अक्टूबर 2025 में चुनाव होने हैं। फिर शायद कनाडा में सरकार बदलने के बाद ही इस मुद्दे पर कोई प्रगति देखने को मिले।
साथियों बात अगर हम भारत सरकार की प्रेस एडवाइजरी की करें तो, बता दें कि भारत सरकार द्वारा पिछले दिनों नागरिकों, वीजा सहित तीन एडवाइजरियों के साथ प्रेस के लिए भी एडवाइजरी जारी की गई है। 21 सितंबर को ही भारत सरकार ने टीवी चैनलों के लिए भी एक एडवाइजरी जारी कर दी। ये एडवाइजरी संविधान के आर्टिकल 19(2) और केबल टेलीविजन नेटवर्क एक्ट 1995 के सेक्शन 20(2) के तहत जारी की गई. कहा गया है कि टीवी चैनल किसी ऐसे व्यक्ति को अपने मंच पर जगह न दें जिसके खिलाफ गंभीर अपराध और आतंकवाद के आरोप हैं सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने बताया कि उसके संज्ञान में ये बात आई है कि ऐसे व्यक्ति, जिसके खिलाफ आतंकवाद के गंभीर आरोप हैं उसे टीवी चैनल पर एक चर्चा में बुलाया गया और उसने कई ऐसे बयान दिए जो देश की संप्रभुता और सुरक्षा को नुकसान पहुंचाने वाला है।
अतःअगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि भारत-कनाडा विवाद पर दुनियां की नज़र - कनाडा नाटो, जी-7, फाइव आइज़ का सदस्य तो भारत पश्चिमी देशों का दुलारा।भारत के अमेरिका सहित पश्चिमी साझेदारों से घनिष्ठ संबंध अहम हैं-अमेरिका ने कहा देश की परवाह किए बिना बुनियादी सिद्धांतों की रक्षा करेगा।अमेरिका को भारत-कनाडा में चुनना पड़ा तो, भारत को चुनेगा पेटांगन के पूर्व अधिकारी के बयान से भारत का रुतबा दिखा है।


-संकलनकर्ता लेखक - कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुख़दास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र

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kishan bhavnani
कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट 
किशन सनमुख़दास भावनानी 
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