लघुकथा -बेड टाइम स्टोरी
"मैं पूरे दिन नौकरी और घर को कुशलता से संभाल सकती हूं तो क्या अपने बच्चे को अकेली नहीं संभाल सकती? आधुनिक जमाने की आधुनिक मां हूं और बच्चे की देखभाल की सभी आधुनिक पद्धतियों से परिचित हूं। पूरे दिन की थकान के बाद भले ही अपने बच्चे को कहानियां नहीं सुना सकती, पर दिखा तो सकती हूं। बेड टाइम स्टोरीज के कितने ऐप मोबाइल में हैं। आज की वेब पीढ़ी के बच्चे कहानियां सुनने के लिए नानी-दादी की राह नहीं देखते।"कावेरी के इस उलाहने को समझने वाले विनोद ने हमेशा की तरह उसकी इस बात का जवाब देना उचित नहीं समझा। उसका ध्यान कावेरी पर नहीं, सामने बेड पर मम्मी के मोबाइल में बेड टाइम स्टोरी देख-सुन रहे आपने छह साल के बच्चे पर था। जैसे ही मोबाइल पर आवाज आनी बंद हु, उसने मोबाइल बच्चे से छीन कर गंभीरता से कहा, "देखू तो कौन सी स्टोरी सुन रहे हो?"
शीशे में बाल ठीक कर रही कावेरी का ध्यान इस ओर बिलकुल नहीं था। बच्चे के हाथ से मोबाइल ले कर स्कीन पर नजर पड़ते ही विनोद गुस्से में बोला, "जाओ दादी के पास, वह तुम्हें स्टोरी सुनाएंगी।"
पापा का क्रोधित चेहरा देख कर मासूम दादी के बेडरूम की ओर भागा। कावेरी की सहनशीलता चरमसीमा पर पहुंच गई। चेहरा गुस्से से लालपीला हो उठा। वह कुछ कहती, उसके पहले ही विनोद ने मोबाइल उसके हाथ में थमा दिया। मोबाइल की स्क्रीन पर वायरस द्वारा आई नग्न तस्वीर अभी भी स्थिर थी।
एक भी शब्द बोले बगैर इस आधुनिक मां ने अपने स्थिर मोबाइल का स्विच आफ कर दिया।
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