सोच में लाए थोड़ा परिवर्तन -डॉ. माध्वी बोरसे!

December 03, 2021 ・0 comments

सोच में लाए थोड़ा परिवर्तन !

सोच में लाए थोड़ा परिवर्तन -डॉ. माध्वी बोरसे!
कोई कोई तहजीब, सलीका, अदब नहीं खोता,
सर झुकाता हुआ हर शख्स बेचारा नहीं होता!

आंखों में आंसू, और दिल सिर्फ कुछ लोगों का ही का नहीं दुखता,
बस चलने वाला , दर्द होने पर भी, कभी नहीं रुकता!

क्रोध तो, हर मनुष्य को, किसी ना किसी बात पर आता,
कोई लड़ता रहता है, तो कोई स्वयं को समझाता!

जिंदगी अनमोल है यह सोचकर कोई उसकी कदर करता,
कोई पूरी जिंदगी एक दूसरे को कोसते हुए बस रोता और झगड़ता !

कोई गलत संगति और कोई गलत आदतों में पड़ता,
कोई आत्मनिर्भर होकर, विश्वास के साथ आगे बढ़ता रहता!

चलिए जीते हैं जिंदगी को खुलकर, और भर देते हैं प्रसन्नता,
छोटी मोटी बातों को छोड़कर, अपने आचार में लाते हैं महानता!

कोई कोई तहजीब, सलीका, अदब नहीं खोता,
सर झुकाता हुआ हर शख्स बेचारा नहीं होता!

डॉ. माध्वी बोरसे!
(स्वरचित व मौलिक रचना)
राजस्थान (रावतभाटा)

Post a Comment

boltizindagi@gmail.com

If you can't commemt, try using Chrome instead.