खट्टी मीठी यादें - डॉ इंदु कुमारी

खट्टी मीठी यादें

खट्टी मीठी  यादें - डॉ इंदु कुमारी
आती है मानस पटल पर
उभरकर वो सुनहरी यादें

प्रेम रस में भीगा -भींगा
मधुरमय स्नेहिल सौगातें

जिनकी यादें आने से
पहले आ जाती होंठों पे

आत्मिक मुस्कुराहट भी
स्वयं से बातें करने लगते

कटती आनंद भरी रातें
खोया -खोया सा रहता

बेबस बेचारा सा दिल
गम की परछाई जब

तिनकों में उड़ जाती
कपोलों की लालिमा

सुर्ख सी हों जाती है
आती मानस पटल पे
कुछ खट्टी मीठी यादें।

डॉ. इन्दु कुमारी
मधेपुरा बिहार

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