dharti saja den by dr indu kumari
धरती सजा दें आएं हम सब मिलकर धरती को यूं सजा दें। पेड़ों की कतारें लगा दें इस अवनि को मिलकर हरियाली से सजा दें हम मानव बन जाएं पर्या...
धरती सजा दें आएं हम सब मिलकर धरती को यूं सजा दें। पेड़ों की कतारें लगा दें इस अवनि को मिलकर हरियाली से सजा दें हम मानव बन जाएं पर्या...
गीत - सावन बरसे सखी बरसे रे सखी रिमझिम पनिया चमकै रे सखी मेघ में बिजुरिया। छमकत रे सखी गांव के गौरिया आयल रे सखी सावन महिनमा सावन महिनमा...
मुक्ति किसी डांट-डपट से बेपरवाह हो मन चाहता है खेलना मनमफिक़ खेल जो बन्धे न हों बहुत अनुशासन मेँ परे हों कड़े नियमों से। मन बहुत देर तक अंदर ...
चोर छिपा बैठा है मन में चोर छिपा बैठा है मन में मैं ढूंढ रहा हूं दूसरे तन में, कैसी विडंबना है जीवन की आरोपित करता मैं किसको ? बड़ी जलन जीव...
संवेदना विहीन हम संवेदना विहीन हम बांट पाय दर्द कौन। अनाथ तो बना गया, प्रकृति भी मौन क्यों ? दर्द क्यों एक को बाकी हम हैं कौन ? मनुष्य ह...
हमारे संस्कार माना कि आधुनिकता का मुलम्मा हम पर चढ़ गया है, हमनें सम्मान करना जैसे भुला सा दिया है। पर ऐसा भी नहीं हैं कि दुनियां एक ही रंग ...
शूरमा जीवन मग में चलना तो , बस सदा अकेले पड़ता । शूरमा जो होता वह रण में , निपट अकेले लड़ता ।। रहता जो पूरित साहस से , तनिक नहीं घबराता । व...
एक रूपया एक रुपया में खुश हो जाने वाले ,दिन की बात निराली थी। जेबें तो लिबाज़ में अनेकों थीं,पर सारी की सारी खाली थी। मेरे हम उम्रों को याद ह...
सुख दुःख की कहानी आँखों में उसने तराशी हैं खुशियां ,न ढूँढ़ पाना तो अपनी नाकामी। ख़ुशी उसने बख्शी है चेहरे पे सबके ,गर दुख ढूँढ़ ले तो है कैसी...
जिंदगी भर जमाने ने दी है तोहमत की दौलत ,इसको समेटे रहो जिंदगी भर। सफाई जो कर दोगे जेहन का अपने ,रह न जाएगी थोड़ी कमी भर। परवाह जिस दिन कर लो...
भावनाएं लिए फिर रहे दर बदर भावनाएं लिए। तुम अपने लिए हम पराये लिए। आदमी आदमी को पहचानता कहाँ अब बड़े फिर रहे है दुवाएँ लिए। आदमी आदमी से आदम...
सपने दो आँख चिपका दी गई हैं हरेक चहरे पर पढो दस्तावेज दुनिया की चित्रपट देखो और सुलझाओ पहेली दीन दुनिया की | रोशनी हो मन साथ हो और ऑंखें...
शीर्षक- भारत वर्ष मस्तक दिव्य हिमालय जिसका, पांव धुले नितसागर इसका। हृदय भाग में बहती है नित , गंगा यमुना की धारा। दुनिया में सबसे प्यारा ,...
कर्म ही ईश्वर क्या ईश्वर मिलता है हमको , अंग भभूत रमाने में ? क्या ईश्वर मिलता है हमको , हठ का योग अपनाने में...
संदेह संदेह के बादल एक बार घिर आये, तो सच मानिए कि फिर कभी न छंट पाये, मान लिया छंट भी गये तो भी उसके अंश अपनी जगह कभी अपनी जगह से न हिल ...
महिला सशक्तिकरण महिलाओं के सशक्त होने की किसी एक परिभाषा को निश्चित मान लेना सही नही होगा और ये बात सही साबित करने के लिए सबसे पहले ये मानन...
अंतरजातीय विवाह और ऑनर किलिंग की समस्या : इस आधुनिक और भागती दौड़ती जिंदगी में भी जहाँ किसी के पास किसी के लिए समय नही होता वहाँ आज भी अंतर...
"बीहड़ों की बंदूक" बीहड़ों में जब उठती हैं बंदूकें दागी जाती हैं गोलियां उन बंदूकों की चिंगारी के बल पर दी जाती है अपने चूल्हों में...
राज़दार दरिया दरिया सबकी मुलाकातों की गवाह रहती है कुछ पूरी तो कुछ अधूरी किस्सों की राजदार रहती है आँखे बंद हो तो जिसकी सुकुन भरी एक बयार र...
"स्वयं की रचयिता" तुम्हारी घुटती हुई आत्मा का शोर कही कैद न हो जाये उलाहनों के शोर में इसलिए चीखों जितनी ताक़त है तुम्हारे भीतर और...
"पृथ्वी " पृथ्वी के उदर पर जो पड़ी हैं दरारें ये प्रमाण है कि वो जन्म चुकी है शिशु इतंजार में है उस मरहम के जो भर दे उसकी दरारें औ...
"कविताओं के ओर" खोजें नही जाते कविताओं और कहानियों के ओर ये पड़ी रहती है मन के उस मोड़ पर जो बेढंगी तरीके चलती ही रहती है जो खाली...
कबीरदास पर कविता होश जब से सम्भाला , सम्भलते गये आग की दरिया से निकलते गये फेंकने वाले ने फेंक ...
कविता-देखो कितने गांव बदल गए...। हर देहात के ताव बदल गए, देखो कितने गांव बदल गए। कुआ बाबड़ी ,पानी भूले , देखो तो तालाब बदल गए। खेड़ापति अब नही...
आलेख : पर्यावरण में जहर , प्राणियों पर कहर बरसात का मौसम है़ । प्रायः प्रतिदिन मूसलाधार वर्षा होती है़ । कभी -कभी तो कई दिनों तक लगातार वर...
बाणभट्ट बाणभट्ट की विद्वता का भूषण को उपहार मिला है पिता पुत्र की रचनाओं पर लिखने का अधिकार नहीं है ।। कहते हैं कादंबरी उनकी, रचनाओं में बह...
कविता आज धरती का दुख देख-देख। अम्बर का धीरज टूट गया। भीग गयी अंखिया अम्बर की। बरस गये अश्रु बादल बनकर। हुआ दुखी तब मिलन धरा का। अपने अम्बर ...
बाल श्रमिक दिवस पर कविता कितनी मजबूर जिन्दगी , मासूम उम्र में मेहनत करते। कचरा बीनने को मजबूर , कितने मैले लिवास ओढ़ते । ढाबो में दिखते ये...
अनुबंध परंपरागत अनुबंध हमारा, कब टूटेगा था ज्ञात नहीं , सहज सरल जीवन जिया है हमको है अभिमान नहीं। ।। सुखद कामना मंगलमय जीवन सबको हो अधि...
सावन की बूँद सावन की रिमझिम बूँदें जब , झरतीं नील गगन से । शस्य रूप अवलोकित होता , वसुधा के कण-कण से।। शुष्क पड़े सरवर का जल तल , ...
वो जमाना आज जब अपने पिताजी की उस जमाने की बातें याद आती हैं, तो सिर शर्म से झुक जाता है। माँ बाप और अपने बड़ों से आँख मिलाने में ही डर लगता थ...
कविता- हैवानियत कमजोर जानकर किसी को क्युं सताते हैं लोग, मासूम दिलों पे पत्थरों की बौछार क्युं चलाते हैं लोग, कभी सोचते हैं क्युं नहीं कि ...
मैराथन डॉक्टर ने बोला है, आज के चौबीस घंटे बहुत नाजुक हैं। हल्का फुल्का सब सुन रहा हूँ। कोई मलाल नही। जीवन की इस अंतिम बेला में, पीछे मुड़क...
"कल की महाभारत और आज की महाभारत" महाभारत के सभी पात्र, अब तो घर ही में है, घृतराष्ट्र, दुर्योधन, शकुनि, सब तो घर ही में है । असली ...
दिखावटी मिहिका के दिल में बहुत कसक है। शुरुआत में तो ज़्यादा ही होती थी। जब भी माँपिता से, इस बात का ज़िक्र किया। वे कहते,"हमें तुझ पर ...
व्यंग्य कथा –पुलिस का चक्रव्यूह. मुंगेरी ने कसम खायी थी उसका कितना ...
आ अब लौट चलें बहुत भाग चुके कुछ हाथ न लगा तो अब सचेत हो जाएँ और लौट चलें अपनी संस्कृति की गोद में जो आज भी जीवित है हम सबके अंतरात्मा में ।...
आज फिर गिरफ्त में आया दर्पण, आज फिर गिरफ्त में आया दर्पण, आज फिर चेहरे का नकाब डहा। दिल में दर्द की टीस उठी, पर चेहरे पर मुस्कान बिछी। किसी ...
गाँव की गलियां समयचक्र और आधुनिकता की भेंट चढ़ गईं हमारे गाँव की गलियां, लगता ऐसे जैसे कुछ खो सा गया है, अपनापन गलियों में भी जैसे नहीं रह गय...
आलोचक और प्रशंसक आलोचना का एक पहलू ... अक्सर हम अपने आलोचकों से मन ही मन रहते हैं परेशान , मौका ना मिले हमारी बुराई का ...